उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिला अस्पताल डॉक्टरों की मरीजों से काली कमाई का जरिया बन गया है. सरकारी डॉक्टरों ने अपने निजी प्राइवेट अस्पताल और मेडिकल खोल रखे हैं, उसके साथ क्लीनिक भी लेकिन योगी सरकार बेसुध बनी हुई है.

सरकारी अस्पताल के डॉक्टर मरीज़ों से कर रहे धन उगाही:

उत्तर प्रदेश में योगी राज कायम है जो सबका साथ सबका विकास की बात करती है लेकिन जनपद फिरोजाबाद के सरकारी अस्पताल में सारा पैसा लेंगे लेकिन इलाज भी नहीं देंगे. यह कहावत आजकल कुछ सरकारी डॉक्टरों में देखने को मिल रही है.

बता दें जिला अस्पतालों में काली कमाई का सच क्या है? काली कमाई के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए जा रहे हैं?

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सरकारी अस्पताल सिर्फ योगी सरकार की फाइलों में दर्ज मिलेगा, जहां गरीबों पर सरकारी खर्चे पर इलाज का ठीकरा फोड़ा जाता है लेकिन सच यह है सरकारी इलाज की आड़ में डॉक्टरों ने अपने निजी अस्पताल मेडिकल और क्लीनिक खोल रखे हैं.

सरकारी अस्पताल की आड़ में इन डॉक्टरों को मरीजों को ढूंढने को ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ती है क्योंकि उनकी काली कमाई करने का जरिया बैठे बिठाए जिला अस्पताल में ही मिल जाता है और बेशुमार काली कमाई अस्पताल में हो जाती है

क्या है मामला:

मामला है फिरोजाबाद जिला अस्पताल का है, जहां इलाज के दौरान एक व्यक्ति का पैर का ऑपरेशन किया जाता है. ऑपरेशन की मात्र रूपये 270 की रसीद मरीज के घरवालों को दी जाती है, जो सरकारी अस्पताल का खर्चा होता है.

लेकिन उसके बाद डॉक्टरों की काली कमाई का जरिया शुरू हो जाता है. जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर अनीश द डॉन अपने लड़के राहुल के जरिए मरीज़ की मां से 25,000 रुपये लेता है.

खोल रहे हैं खुद के मेडिकल स्टोर और एक्स-रे स्टोर:

उसके बाद बाहर की दवा लिखकर अपने ही योगेश मेडिकल स्टोर से दवा मंगाई जाती है और मरीज को कह दिया जाता है कि दवाई सिर्फ इसी मेडिकल पर मिलेगी.

डॉ अनिल को जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ और मरीजों को लूटने का सरगना कहा जाता है या समझिए यह मरीजों को लूटने का मुखिया है.

वहीं मरीज का एक्स-रे भी अनिल एक्स-रे से ही कराया जाता है, जो जिला अस्पताल के ठीक सामने है.

साहब को यह पूछिए जिला अस्पताल में डिजिटल और सादा एक्स-रे की सुविधा है लेकिन फिर क्यों अपनी दुकान पर एक्स-रे के लिए भेजा जाता है.

मुफ्त दवाओं और एक्स-रे की सुविधा होने के बाद भी मरीज़ो को भेजते हैं बाहर:

इसका सच हम बताते हैं क्योंकि डॉक्टर साहब के घर के खर्चे इतने ज्यादा हैं जो सरकार की दी सैलरी से पूरे नहीं होते. फिर काली कमाई का रास्ता अपनाया जाता है या फिर गरीबों का खून चूसने में मजा आता है।

वहीं युवक का ऑपरेशन तो कर दिया गया लेकिन मरीज़ ठीक नहीं हुआ और युवक को प्रतिदिन 3000 रुपये का इंजेक्शन लगाने को कह दिया और बाद में आगरा को रेफर कर दिया गया.

आखिरकार सवाल यह है कब तक ऐसे ही जिला अस्पताल फिरोजाबाद के डॉक्टर गरीब और बेसहारा मरीज़ों को लूटते रहेंगे या फिर योगी सरकार इस ओर कोई ठोस कदम उठाएगी।।

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