उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के खैराबाद में मासूम बच्चों पर हमला करने वाले कुत्ते नहीं कोई और जानवर ही है, ऐसा यहां के ग्रामीणों का कहना है। मासूमों पर झुंड में हमलावर होने वाले कुत्तों का जैसा हुलिया और वर्ताव बताया जा रहा है। वह कुत्ते की शक्ल में दिखते हैं, लेकिन सामान्य तौर पर पाए जाने वाले आम कुत्तों जैसे नहीं हैं। भटक रहे आदमखोर कुत्तों ने सीतापुर में दो और बच्चों को मार डाला है। बुधवार और गुरुवार को ताजा हमले तब भी आए जब जिला प्रशासन ने दावा किया कि स्थिति नियंत्रण में थी। क्योंकि उन्होंने आदमखोर कुत्तों के हमलों को नियंत्रित करने के प्रयास में 40 कुत्ते पकड़े थे, जिन्हें लखनऊ स्थित कान्हा उपवन में भेजा जा रहा है और कुछ का इनकाउंटर किया जा रहा है। जिनकी वजह से अब तक लगभग एक दर्जन बच्चों की मौत हो चुकी है।
हमलावर जानवरों के स्वाभाव का मंथन कर रही आईवीआरआई की टीम
झुंड में अचानक हमला करने वाले यह जानवर ना तो कुत्ते की तरह भौंकते हैं, ना ही किसी को सामने देखकर गुर्राते हैं। बस अचानक आकर हमला कर देते हैं और दांतो से मांस नाचने लगते हैं। आईवीआरआई वैज्ञानिकों की टीम खैराबाद से लौटने के बाद इस पर मंथन में जुटी है कि आखिर ग्रामीणों पर हमला होने वाले कुत्ते की शक्ल में यह कौन से जानवर हैं। आईवीआरआई वैज्ञानिकों की टीम ने डॉक्टर दिनेश चंद्रा के नेतृत्व में अध्ययन करने के लिए खैराबाद के इन कामों का भ्रमण किया। अब टीम खैराबाद से बरेली पहुंच चुकी है और इन जानवरों के अचानक हमलावर होने के स्वभाव का मंथन कर रही है।
6 वर्षीय अभिषेक कुमार जो कि गुरैनी गांव का रहने वाला है वो अपने दादा के साथ घर से बहार निकला था। जिसके ऊपर इन आदमखोर जंगली कुत्तों ने पीछे से हमला कर दिया था। उसके बाद अगले ही दिन 8 वर्षीय संगीता पर भी आदमखोर कुत्तों ने हमला किया था, जब वह अपने गाँव भगौतीपुर से लगभग दो किमी दूर खेतों में थीं। दोनों को सीतापुर और लखनऊ के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर थी। अभिषेक बुधवार को शाम 5 बजे अपने घर वापस आ रहा था। जब तीन आदमखोर कुत्तों ने उसके ऊपर पीछे से हमला किया।
उन आदमखोरों ने एक झुण्ड में अभिषेक पर हमला किया था और उसकी गर्दन को दबोचने की कोशिश की थी। इसी मामले में जब जिला वन अधिकारी अनिरुद्ध पांडेय से पूंछा गया तो उन्होंने कहा कि उन हमला करने वाले आदमखोरों ने उसे तब छोड़ दिया। जब उसके दादाजी ने उन्हें छड़ी हाथ में लेकर दौड़ाया और अपने पोते को बचने उसकी तरफ भागे। खुद की तरफ आते देख वो जंगली जानवर वापस खेतों की तरफ भाग निकले। उसके बाद उन्होंने कहा कि कुत्ते बच्चों के समान ऊंचाई के हैं और वो उनकी गर्दन पर हमला करते हैं। यही कारण है कि ये हमले अधिकतर घातक साबित हुये हैं।
सीतापुर शहर के मजिस्ट्रेट हर्ष देव पांडे ने कहा कि हमलावर कुत्तों के एक झुण्ड ने संगीता पर हमला किया। जब वह खेतों में खुद को राहत देने के लिए बाहर निकल गईं। जब उसके ऊपर हमला हुआ तो उसने अपनी मदद के लिए जोर से चीखना शुरू किया और जोर जोर से रोने लगी। संगीता के रोने और चीखने की आवाज़ सुनते ही आस पास के खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों का एक समूह लाठी डंडे के साथ उस जगह पर पहुंचा और कुत्तों को भागने के लिए मजबूर कर दिया। उसके बाद घायल अवस्था में संगीता को स्थानीय अस्पताल भेजा गया था और बाद में लखनऊ को भेजा गया था। मजिस्ट्रेट ने कहा कि शनिवार से आदमखोर कुत्तों के हमलों से संबंधित कोई मौत की सूचना नहीं मिली है।