बुंदेलखंड में सूखा पड़ने के बाद ही वहाँ पर किसानों की मौतों का सिलसिला जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस भयानक स्थिति से निपटने और किसानो को सूखे से निजात दिलाने के लिए उच्चस्तरीय समीक्षा करने का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री के आदेश पर प्रधानमंत्री कार्यालय में गृहमंत्री की अध्यक्षता में बुंदेलखंड सूखे से निपटने के लिए समीक्षा बैठक की गई।
- बैठक में फैसला लिया गया है कि बुंदेलखंड में राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) के तहत भेजा गया पैसा एक हफ्ते के अन्दर किसानों के बैंक खातों में पहुंचा दिया जाएगा।
- इसके अलावा मनरेगा के तहत दिहाड़ी मजदूरी को 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन किया गया।
- राज्य सरकार को मनरेगा की मजदूरी सीधे बैंक खातों के जरिये बांटने का निर्देश दिया गया है।
- खाद्य सुरक्षा के तहत पीड़ितों में अनाज बाँटने का भी निर्देश दिया गया।
- सूखे से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश को 1304 करोड़ रूपये देने की सिफारिश भी की गई।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बुंदेलखंड में सिर्फ 30 फीसदी फसलों का ही बीमा हुआ है। जिसका दायरा बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
2005 से 2009 के बीच भी बुदेलखंड में सूखा पड़ा था। उस समय भी कई किसानों ने मदद न मिलने पर आत्महत्या कर ली थी। उस समय कांग्रेस सरकार की दी हुई मदद:
- दोबारा सूखा पड़ने पर किसानों को काले दिन न देखने पड़े, इसके लिए 2009 में उस समय कांग्रेस सरकार ने बुंदेलखंड को 7,266 करोड़ का पैकेज देने की घोषणा की थी।
- दिए गए पैकेज में से 3,506 करोड़ रूपये उत्तर प्रदेश में आने वाले बुदेलखंड के सात जिलों को दिए गये थे। जबकि बाकी बचे 3,760 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश में आने वाले छह जिलों को दिए गये थे।
- इस दिए गये पैकेज का क्रियान्वयन अगले तीन सालों में किया जाना था। पैकेज के तहत सिंचाई, वाटरशेड प्रबंधन, पेयजल, पशुपालन और पर्यावरण पर फोकस किया जाना था।
- इस पैकेज से बुंदेलखंड में कोई बदलाव तो नहीं दिखा, हाँ प्रदेश सरकार के अफसरों ने अपनी जेबें जरूर भर लीं।
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