भारत को आजाद करवाने के लिए हमारी स्वंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया है। भगत सिंह से लेकर सुभाष चन्द्र बोस सभी ने अपने प्राणों की आहुती देकर देश को आजाद कराया था। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद भी इन्हीं में से एक है जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ देश पर कुबान कर दिया था। आज उनके जन्मदिवस के अवसर पर हम आपको उनके जीवन के कुछ ख़ास पहलुओं से रूबरू करा रहे है।
सादगी और सरलता के धनी थे डा. प्रसाद :
- डा. राजेंद्र प्रसाद का जन्म उत्तर प्रदेश के अमोढ़ा जिले में हुआ था।
- प्रसाद जी के पिता भी काफी बड़े विद्वान् थे जिस कारण बचपन में उन्हें ज्ञान पिता द्वारा प्राप्त हुआ।
- उनकी प्रतिभा के कारण ही इलाहाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें `
डॉक्टर ऑफ़ लॉ
` की उपाधी दी गयी थी। - प्रसाद जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष मुंबई में चुना गया था।
- इसके बाद उन्होंने तन-मन लगाकर कांग्रेस को एक नयी ऊंचाइयों पर पहुचायां।
- हालांकि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आवाहन पर उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया था।
- भारत के आजाद होने के बाद उन्हें स्वतंत्र भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
- राष्ट्रपति चुने जाने के बाद कभी भी उन्होंने कांग्रेस की सरकार को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
- प्रसाद जी को उनके देश को आजाद कराने में योगदान के लिए 1962 में `भारत रत्न` से सम्मानित किया गया।
- उन्हें राजनीती के अलावा साहित्य में भी काफी रुची थी और इसके लिए कई रचनाएं भी उन्होंने लिखी।
- उन्होंने अपनी आतमकथा के अलावा `
बापू के कदमो में, इंडिया सत्याग्रह सहित कई रचनाएं लिखी।
- आज उनके जन्दिवास के अवसर पर हम इन महानुभाव को अपना नमन करते है।
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