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बेहद नाटकीय ढंग से कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में हुआ विलय!

आज मंगलवार को बेहद नाटकीय ढंग से मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद का समाजवादी पार्टी में विलय हो गया है। यहां लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय पर सपा प्रदेश प्रभारी ने अंसारी बंधुओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेस में करके यह जानकारी दी। सपा के इस कदम को पूर्वाचंल की जमीन पर पार्टी के कब्जे के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। मालूम हो कि पूर्वाचल के मतदाताओं में मुख्तार अंसारी की अच्छी पकड़ है। वह गाजीपुर और मऊ के राजनीतिक समीकरणों को अपने बल-बूते बदलने की क्षमता रखते हैं।

सपा को मिलेगी मजबूतीः

गौरतलब है कि 21 जून को कौएद के सपा में विलय की घोषणा के बाद बीती रात से ही पूर्वांचल से कार्यकर्ताओं का जत्था लखनऊ पहुंच रहा था।

सूत्रों के अनुसार खबर है कि सोमवार रात कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल सिंह यादव ने मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी को एक फोन काल किया। जिसके बाद अफजाल के समर्थकों ने बताया कि फिलहाल विलय का कार्यक्रम टल गया है। इस खबर के बाद कई कार्यकर्ता वापस भा लौट गए थें, लेकिन आज मुख्यमंत्री अखिलेश के विरोध को दरकिनार करते हुए सपा ने अचानक प्रेस कान्फ्रेस कर सपा में अंसारी बंधुओं की वापसी की घोषणा कर दी।

शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुख्तार और अफजाल अंसारी पहले भी सपा में रहें हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियों वश वे हमसे अलग हुए थे।अब जब वे सपा में वापस आना चाहते हैं तो उनका स्वागत किया जा रहा है। इस दौरान कैबिनेट मंत्री ने कहा कि कौएद के सपा में विलय से समाजवादी पार्टी को मजबूती मिलेगी।

भाई सिबगतुल्लाह ने पेश की थी सफाईः

जिसके बाद कौएद विधायक और मुख्तार के भाई सिबगतुल्लाह ने सफाई पेश करते हुए कहा था कि विलय के घोषित वक्त पर सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उपस्थित नहीं रहेंगे। साथ ही कुछ अन्य दलों का भी सपा में विलय होना है इस लिहाज से विलय का कार्यक्रम ईद के बाद रखा गया है।

सीएम अखिलेश ने जताया था विरोधः

सूत्रों के मुताबिक कौएद के सपा में विलय की कोशिशें कैबिनेट मंत्री शिवपाल के कारण ही परवान चढ़ सकीं। कौएद के सपा में विलय की खबरें जब सियासी गलियारों से होते हुए आम लोगों तक पहुंची, तो मुख्यमंत्री अखिलेश को कुछ ऐसी बातों के बारे में पता चला कि वे अंसारी बंधुओं को सपा में शामिल न करने के लिए मुखर हो गए थें।

बताया जा रहा है कि अखिलेश और सांसद धर्मेन्द्र यादव की जिद के कारण ही सपा ने अपने हाथ पीछे खींचे थें। मालूम हो कि अखिलेश आने वाले चुनावों में अपनी छवि को लेकर बेहद सजग हैं।

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