उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के नेपाल बॉर्डर रुपईडीहा में पिछले कई माह से बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार फलफूल रहा है। कहने को तो यह ब्लॉक नाबबगंज का कस्बा है मगर यह कस्बा नशे का हब बन चुका है। अब लोग इसको नशे की मंडी कहने से भी गुरेज नही करते.
सरहदी इलाके में पनप रहा नशे का कारोबार:
कारण यह है कि इस छोटे से कस्बे में न तो कोई एमबीबीएस डॉक्टर है और न ही कोई बड़ा हास्पिटल मगर बहराइच जिले के इस रुपईडीहा इलाके में पंचासों से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित हैं। अधिकतर मेडिकल स्टोर वालों का लाइसेंस भी नही है फिर भी फर्जी तरीके से यहां मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं।
चल रहे हैं फर्जी फार्मासिस्ट:
नेपाल व रुपईडीहा इलाके के आसपास रहने वाले हजारों नसेड़ी इन मेडिकल स्टोरों पर खुलेआम नशीली दवाइयों की खरीददारी करते है। नशे की इस कारोबार से अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। मगर इस धन्धे पर विराम नही लगा।
इतना ही नही अगर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा जांच कराई जाये तो कई मेडिकल स्टोर फर्जी फार्मासिस्ट के नाम पर भी चल रहे हैं। जिन फ़ारमिस्टों का नाम पता चले वे फार्मासिस्ट खोजने से भी नही मिलेंगे। “मगर यहां पूरी तरह अंधेर नगरी चौपट राजा है”
महिलायें भी करती हैं नशीली दवाओं का सेवन:
रुपईडीहा में मेडिकल स्टोरों पर बिक रही नशीली दवाओं का सेवन पुरुष नशेड़ियों के साथ साथ महिलायें भी करने लगी हैं। पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल की करीब एक दर्जन से अधिक महिलाये नशे की आदी हो चुकीं है। ये महिलाएं सुबह ही रुपईडीहा आकर नशीली दवाइयों का सेवन करने लगती है। नशे की आदी हो चुकीं नेपाली महिलाओं के परिजन भी परेशानहाल है।
ड्रग इंस्पेक्टर की मिलीभगत से हो रहा कारोबार:
एक मेडिकल स्टोर संचालक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कस्बे में जितने भी मेडिकल स्टोरों पर नशे का कारोबार हो रहा है उसमें बहराइच के ड्रग इंस्पेक्टर की बड़ी अहम भूमिका है। ड्रग इंस्पेक्टर का एक आदमी प्रतिमाह मेडिकल स्टोर वालों से माहवारी पैसा लेता है इन्ही के इशारे पर यह धन्धा यहां पनप रहा है।
बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी:
बॉर्डर पर नशे के इस कारोबार से युवा पीढ़ी पूरी तरह से बर्बाद हो रही है बड़े तो बड़े नाबालिग बच्चे भी नशे के आदी हो चुके हैं। जिससे इन बच्चो का भविष्य खराब हो रहा है। कई बार स्थानीय लोगो ने ड्रग इंस्पेक्टर को फोन कर इस कारोबार की जानकारी दी मगर आज तक इन साहब के कानों तले जूं तक नही रेंगता।