अमेठी जिले में नशाखोरी के बढ़ते प्रचलन से अमन पसंद लोगों का जीना मुहाल हो गया है। नशे की तपिश में जहां अमेठी का अमन बर्बाद हो रहा है, वहीं कई संगीन अपराध व दुष्कर्म जैसे सामाजिक कलंक भी सामने आ रहे हैं। जनपद की हर गली नुक्कड़ में नशे की दुकान सजती है और समाज का हर तबका खुलेआम इसकी मस्ती में अपने भविष्य को डुबो रहा है।
नशेड़ी मस्त, व्यवस्था पस्त
अमेठी जिले की कई बाजारों में सरेआम परचून की दुकानों सहित पान की गुमटियो में ब्रांडेड भांग बिक रही है। सिगरेट-पान की दुकान चला रहे दुकानदार खुद ही केमिस्ट बनकर भांग के गोले को आयुर्वेदिक दवा बताकर बेचने का गोरखधंधा कर चला रहे हैं। जनपद की अधिकतर पान और परचून की दुकानों पर ओके, आनन्द, महादेव का गोला, मुनक्का आदि ब्रांड के नाम से चमकीली पैकिंग में भांग का गोला बेचा जा रहा है। पैकेट के ऊपर लिखित में इसे आयुर्वेदिक दवा बताया गया है।
हमारी पड़ताल में दिखी असलियत
अमेठी में गहराई से पड़ताल में जुटी हमारी टीम का एक संवादसूत्र जब ग्राहक बनकर की। परचून की दुकान पर जाकर जब भांग का गोला मांगा गया तो उसने एक मशहूर ब्रांड का पैकेट पकड़ाते हुए कहा कि पैकेट के अंदर पर्याप्त मात्रा में गोले दुकानदार ने कहा कि पूरा नशा है। एक बार इसे खाना शुरू कर दिया तो हर बार इसी ब्रांड के भांग के गोले की डिमांड करोगे। इसी तरह अमेठी के अलीगंज, मुसाफिरखाना, वारिसगंज, जगदीशपुर, कमरौली, शुकुलबाजार सहित जिले के अन्य इलाकों में पान सिगरेट की खुली दुकानों पर भी भांग का गोला अलग अलग ब्रांड के नाम से मिला।
एक दिन में कई गोले खा जाते हैं नशेड़ी
भांग का नशा करने वाले एक युवक ने बताया कि उसने भांग एक गोला खाने से शुरूआत की थी। इसके बाद धीरे-धीरे वो भांग की लत का शिकार हो गया और नशे की डोज बढ़ता रहा। अब वो दिन में भांग के कई गोले खा लेता है। घर के आस पास ही पान सिगरेट की दुकान पर असानी से मिल जाने वाले ब्रांडेड भांग के गोले के चलते कम उम्र के युवाओं में इसके नशे का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी ब्रांडेड भांग की बिक्री तेजी से हो रही है।
जिम्मेदार फरमाते है आराम, नशा बिक रहा खुलेआम
समाज तथा राष्ट्र के पुनर्निर्माण में किशोर वर्ग तथा नौनिहालों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है, परंतु उचित एवं अनुकूल संरक्षण का अभाव प्रशासनिक लापरवाही के कारण छोटी सी उम्र से ही नशा की लत में पड़ जाने से उनका भविष्य बर्बाद हो रहा है। जिससे वे राष्ट्र निर्माण के वाहक न रहकर विध्वंस और अव्यवस्था के प्रतीक बन रहे हैं। जनपद में इन दिनों किशोरों की कौन कहे छोटे-छोटे बच्चे में भी नशे की लत चिंता का विषय बनती जा रही है। छोटे-छोटे ये बच्चे भी मादक पदार्थों के आदी होते जा रहे हैं। विद्यालयों के सामने खुली पान-चाय की दुकानों पर उपलब्ध गांजा, भांग आदि नशीली वस्तुएं जहां इसे खुले आम बढ़ावा दे रही है वही प्रशासनिक अमला इस बात को लेकर उदासीन बना हुआ है।
बोले जिम्मेदार
वहीं जब इस मामले को लेकर अमेठी के अपर पुलिस अधीक्षक बीसी दुबे से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि शीघ्र ही इसमें लिप्त विक्रेताओं के खिलाफ कड़ी करवाई की जायेगी।