गरीबी में शौचालय बना आवास ,प्रधानमंत्री आवास योजना की सरेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
- दबंगई और गरीबी में शौचालय बना आवास ,प्रधानमंत्री आवास योजना की खोल रहा पोल |
- सरकारे भले ही गरीबो को उनका हक़ दिलाने का ढिढोरा पीटती हो ।
- लेकिन उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में गरीबो को उनका हक़ नहीं मिलते दिखाई दे रहा है ।
- दबंग प्रधान उनके हक़ पर डाका डाल रहे है।गरीबो द्वारा घूस ना दे पाना,उनके द्वारा वोट बर्तमान प्रधान को ना देना।आदि कई ऐसे बहानो से उनको सरकारी सुबिधाओं से बंचित रक्खा जा रहा है।
- पूरा मामला जनपद मैनपुरी के बरनाहल ब्लाक के ग्राम बनगवां गढ़िया का है ।
- जहां प्रीति देवी पत्नी स्वर्गीय महिपाल शाक्य जो पुराने मिले शौचालय में रहने को मजबूर है ना उनके पास कोई छत है ना कोई मकान ।
- अगर छत के नाम से कुछ है तो बो पुराना शौचालय ।महिला जोकि भूमिहीन,विधवा ,आवास हीन है ऐसी स्थिति में विधवा महिला एक टूटी फूटी झोपड़ी के पास शौचालय में ही खाने-पीने की सामग्री रख उसको ही अपना आशियाना बनाये है
- जिसके तीन बच्चे है बच्चों की उम्र ,आशंका 7 वर्ष ,आशिकी 5 वर्ष, महिमा 3 वर्ष है,ये बच्चे अपनी माँ के साथ इस सर्दी के मौसम में गरीबी ब दबंगई का दंस झेल रहे है ।
- महिला ने बताया उनके पति की मृत्यु मुख कैंसर के चलते लगभग डेढ़ वर्ष पहले हो गई थी।
- मेहनत मजदूरी पति के इलाज में हमारी सारी मेहनत की कमाई चली गयी।
- अब बच्चों की पालने की जिम्मेदारी अब उस पर आ गयी है । मेहनत मजदूरी कर बच्चों का पेट पाल रहे है ।
- कभी कभी तो हम को भूखे पेट भी सोना पड़ता है ।
- किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला।
- महिला का आरोप कि हमारे गांव के प्रधान जी एक दबंग किस्म का व्यक्ति है कहते है जो हमें वोट देगा उसी को हम आवास एवं पेंशन ,राशन कार्ड आदि की सुविधाएं देंगे जिन्होंने वोट नहीं दिया है |
- उनको कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलने देंगे अगर कोई भी ग्रामवासी इसकी शिकायत करने किसी भी अधिकारी के पास गया तो उसके साथ बुरा हाल करेंगे।
- जानते नहीं हो हमें क्या कहते।
- यह कैसी विडंबना है अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी गांव का हाल जानने नहीं पहुंचा है |
- सबसे बड़ी बात तो यह है केंद्र सरकार व राज्य सरकार।
- ढिढोरा पीट पीट कर दावा कर रही है ।हर जगह सबका साथ सबका विकास के नारे लगाए जा रहे हैं |
- लेकिन गौर करने की बात क्या सभी कार्य हवा हवाई हो रहे ।
- धरातल पर कोई कार्य इनके नुमाइंदे नहीं देख रहे है ।
- पात्र और अपात्र का भी इनको देखने का समय नहीं है।
- अभी तक किसी भी अधिकारी ने इस गरीव महिला की सुध नहीं ली है।
- क्या यही सबका साथ सवका विकास है।
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