प्रदेश के डिप्टी सीएम अपने विभाग के अधिकारियों को काम को लेकर हमेशा निर्देश दिया करते है। वे कहते है कि सड़कों की गुणवत्ता से कोई समझौता नही किया जायेगा, अगर गलत पाया गया तो कठोर कार्रवाई होगा।लेकिन गाजीपुर जनपद में एक बन रही एक ऐसी सड़क जो कि दस बीस या पचास करोड़ नही बल्कि पूरे 228 करोड़ की लागत से बन रही है। इसमें घोर अनियमितता देखने को मिल रही है और इसमें मानकों की अनदेखी की जा रही है। निर्माणाधीन अवधि में ही इसमे दरारें नजर आने लगी हैं, जबकि ऐसी सड़क की अवधि विभाग 20 वर्ष मानता है। 38 किमी लंबा ताड़ीघाट बारा मार्ग जो यूपी को बिहार से जोड़ता है।
इस समय निर्माणाधीन है जिसे पीडब्ल्यूडी बनवा रहा है और गाजियाबाद की एक फर्म को इसका ठेका दिया गया है। गाजीपुर के गंगा पार का इलाका काली मिट्टी वाले इलाके में शुमार है यहां के आधे से अधिक इलाकों में काली मिट्टी पाई जाती है जिसके वजह से इस इलाके की सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं इन ही सड़कों मे शामिल ताड़ीघाट बारा रोड जिसकी लंबाई 38 किलोमीटर है इस सड़क के आधे से अधिक इलाके में काली मिट्टी पाई जाती है ।विशेषज्ञों के अनुसार इस इलाके में हाईवे बनाने से पूर्व इस मिट्टी पर बालू की एक परत डालने के बाद ही सड़क बनाना गुणवत्तापूर्ण होता है लेकिन गाजीपुर में बन रहे इस सड़क पर इस मानक को दरकिनार कर बनाया जा रहा है जिसके वजह से यह सड़क बनने के 1 साल के अंदर ही टूट ना आरंभ हो चुकी है।
गाजियाबाद की कंपनी ने लिये है ठेके पर
जनपद गाजीपुर का इलाका बिहार से सटा हुआ है जिसके चलते बिहार से कोयला और बालू लाने के लिए जो एकमात्र सड़क है वह ताड़ीघाट बारा के नाम से जानी जाती है। यह सड़क पिछले 10 सालों से इतनी खराब हो चुकी है कि लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो गया है इसी सड़क को लेकर इस विधानसभा चुनाव में भी खूब राजनीति हुई ।
जिसके चलते जमानिया से तत्कालीन विधायक व पूर्व पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह को इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा जबकि उन्होंने इस सड़क के निर्माण के लिए 228 करोड़ रुपए का बजट का आवंटन कराकर धर्मराज कंस्ट्रक्शन कंपनी गाजियाबाद को दे चुके थे। यह सड़क चुनाव से पूर्व बनना भी आरंभ हो चुका था और अब करीब 10 से 12 किलोमीटर बन चुकी है। वही यह रोड अभी भी खराब है सबसे बड़ी बात यह है कि इस 38 किलोमीटर के सड़क में आधे से अधिक इलाके में काली मिट्टी पाई जाती है. और सड़क बनाने वाले विशेषज्ञों की बात माने तो जहां भी काली मिट्टी पाई जाती है ।
मानक विहीन हो रहा है कार्य
वहां पर सड़क निर्माण में काली मिट्टी के ऊपर लगभग 15 से 20 सेंटीमीटर बालू की एक परत डालकर ही अन्य मानक के अनुसार सड़क बनाना चाहिए। जिससे की सड़क लंबी अवधि तक चल सके लेकिन इस सड़क निर्माण में अभी तक इस मिट्टी के ऊपर बालू की परत बिछाने का काम ही नहीं हुआ है। जिसके चलते 1 साल पूर्व बनी यह सड़क कई जगह से टूट चुकी है और स्थानीय लोगों के अनुसार भी जो कार्य हो रहा है. वह मानक विहीन हो रहा है और यदि इसी तरह सड़क बनी तो यह सड़क कुछ ही दिन में खत्म हो जाएगी और फिर वही रोना का रोना रह जाएगा बताते चलें कि इस सड़क पर प्रतिदिन लगभग 2 से 3हजार ट्रक आती व जाती हैं।
इस सड़क के बनाने के मानक के बारे में जब लोक निर्माण विभाग खंड 1 के अधिशासी अभियंता रमेश जी से बात की गई तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि इस सड़क में बालू की परत नहीं डाली गई है और ना ही सड़क बनाने के लिए आरसीसी का जो मानक होता है उसमें सरिया का प्रयोग नहीं किया गया है जिससे यह सड़क जितना चलना चाहिए उतना नहीं चल पाएगा।
इस बारे में जब पूरे मामले को जिलाधिकारी के सामने रखा गया तो उन्होंने बताया कि इसके बारे में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर इसकी जानकारी लेंगे, और जो भी कमियां होगी उसे पूरा कराने का कार्य किया जाएगा।