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गोमती रिवर फ्रंट घोटाला : ईडी ने अधिकारियों और इंजिनियरों के 8 ठिकानों पर छापा मारा

ED Raided Eight Places of Officers and Engineers for Gomti River Front Scam

ED Raided Eight Places of Officers and Engineers for Gomti River Front Scam

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को छापेमारी शुरू कर दी। इस घोटाले का मामला दर्ज करने के बाद ईडी की यह पहली छापेमारी है। बताया जा रहा है कि ईडी ने देश के चार राज्यों यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में छापेमारी की है। ईडी की यह कार्रवाई सिंचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों, इंजिनियरों और गैमन इंडिया कंपनी के अधिकारियों के 8 ठिकानों पर चल रही है। लखनऊ में ईडी की टीमों ने गोमती नगर के विशालखंड और राजाजीपुरम इलाके में छापा मारा। गोमती नगर के विशालखंड में स्थिति मकान नंबर 3/332 में ईडी की टीम पहुंची है। इस विशाल घर के बाहर शिवांश नाम लिखा है। ईडी ने इस मकान को अंदर से बंद कर लिया है। किसी के भी अंदर जाने और बाहर आने पर रोक है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]ब्लैक लिस्टेड को दिया काम और किया ज्यादा भुगतान [/penci_blockquote]
गोमती रिवर फ्रंट प्रॉजेक्ट के घोटाले में बीते सितंबर में छह बड़ी कंपनियों को समन जारी किया था। ईडी के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जो कंपनियां ब्लैक लिस्टेड थीं, उन्हें रिवर फ्रंट के काम के ठेके दिए गए। इतना ही नहीं, इन कंपनियों को अधिक भुगतान भी किया गया। जिस राशि पर ठेका दिया गया, उससे अधिक भुगतान किया गया। कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी गैमन इंडिया को दो ठेके दिए गए, वह भी सबसे ऊचे रेट 665 करोड़ पर। इस कंपनी को भी काम से ज्यादा भुगतान किया गया। वहीं केके स्पून कंपनी तो टेंडर के लिए योग्य ही नहीं थी। यहां तक कि कंपनी बेसिक योग्यताएं भी पूरी नहीं कर रही थी, जैसे सिंचाई विभाग में पंजीकरण। चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी को ठेका पहले दे दिया गया और बाद में कंपनी सिंचाई विभाग में पंजीकृत हुई।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]इनके खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर, छह कंपनियों को भेजा गया था समन [/penci_blockquote]
सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजिनियर गुलेश चंद्रा (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (रिटायर्ड) शिव मंगल यादव, अखिल रमन (रिटायर्ड), रूप सिंह यादव (रिटायर), कमलेश्वर सिंह और एक्जिक्यूटिव इंजीनियर सुरेंद्र यादव के खिलाफ गबन, धोखाधड़ी, जालसाजी, घूसखोरी, भ्रष्टाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग के आरोप में सबसे पहली एफआईआर दर्ज हुई थी। ईडी ने बीते सितंबर महीने में गैमन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, केके स्पून पाइप प्राइवेट लिमिटेड, रिशु कंस्ट्रक्शन, हाईटेक कम्पेटेंट बिल्डिर्स प्राइवेट लिमिटेड और तराई कंस्ट्रक्शन को समन जारी किया था।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]ED की यूपी समेत 4 राज्यों में ताबड़तोड़ छापेमारी[/penci_blockquote]
जानकारी के अनुसार, देश के चार राज्यों यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में ये छापेमारी चल रही है। लखनऊ में जहां ईडी की टीमों ने गोमती नगर के विशाल खण्ड और राजाजीपुरम इलाके में छापेमारी शुरू की है। इसमें सिंचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों और गैमन इंडिया कंपनी के अधिकारियों के 8 ठिकानों पर छापा पड़ा है। ​बता दें पिछले साल ही गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के आरोपी इंजीनियरों की संपत्तियों की प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) द्वारा जांच शुरू की गई थी। ईडी को अशंका है कि गोमती रिवर फ्रंट निर्माण से जुडे इंजीनियरों ने करोडों की अवैध चल-अचल संपत्ति अर्जित की है। जिसके बाद अब इन आरोपी इंजीनियरों के खिलाफ मनीलांड्रिग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर, इनकी एक-एक सम्पत्तियों की जांच शुरू कर दी गई है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]ब्योरा तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश जारी [/penci_blockquote]
प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपी इंजीनियरों की अचल संपत्तियों की जांच शुरू करते हुए तत्कालीन गोमती रिवर फ्रंट से जुडे अधीक्षण अभियन्ता शिवमंगल सिंह यादव और चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग और उनकी पत्नी मधुबाला गर्ग, पुत्र तनुज गर्ग के साथ पुत्र वधु स्वाति तनुज गर्ग के हाउस, फ्लैट, कामर्शियल लैंड और अन्य जमीनों का ब्योरा आईजी स्टाम्प से मांगा था। जिसके बाद आईजी स्टाम्प सीताराम यादव ने उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के एआईजी स्टाम्प से आरोपी इंजीनियर और उनके परिजनों की संपत्तियों का ब्योरा तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश जारी कर दिया था।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]1513 करोड़ की परियोजना में 1437 करोड़ रूपया खर्च [/penci_blockquote]
गौरतलब है कि योगी सरकार ने पूर्व सपा सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले का आरोप लगाते हुए जांच शुरू किया था। दरअसल, 1513 करोड़ की परियोजना में 1437 करोड़ रूपया खर्च होने के बावजूद भी काम 65 फीसदी ही पूरा किया गया। जबकि परियोजना की 95 फीसदी रकम निकाल ली गई थी। जिसमें सरकार ने मई 2017 में रिटायर्ड जज अलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई। जांच रिपोर्ट के आधार सरकार ने सीबीआई जांच की मांग की। दरअसल योगी सरकार के सत्ता में आने के फौरन बाद पूर्व की सपा सरकार के महात्वाकांक्षी प्रोजैक्ट गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले का आरोप लगा और जांच के आदेश दिए गए। आरोप लगा कि दरअसल, 1513 करोड़ की परियोजना में 1437 करोड़ रूपया खर्च होने के बावजूद भी काम 65 फीसदी ही पूरा किया गया। यही नहीं परियोजना की 95 फीसदी रकम निकाल ली गई। मामले में योगी सरकार ने मई 2017 में रिटायर्ड जज अलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई। जांच रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेज दिया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]8 इजीनियरों के खिलाफ पुलिस, सीबीआई और ईडी मुकदमा दर्ज करके कर रही है जाँच [/penci_blockquote]
इस मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाना में 8 के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया। इसके बाद नवंबर 2017 में भी ईओडब्ल्यू ने भी जांच शुरू कर दी। दिसंबर 2017 मामले की जांच सीबीआई चली गई और सीबीआई ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। यही नहीं मामले में दिसंबर 2017 में ही आईआईटी की टेक्निकल जांच भी की गई। इसके बाद सीबीआई जांच का आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया। गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़ें इंजीनियरों पर दागी कम्पनियों को काम देने, विदेशों से मंहगा समान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विेदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है। इस मामले में 8 इजीनियरों के खिलाफ पुलिस, सीबीआई और ईडी मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है। इनमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं। यह सभी सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं, जिन पर जांच चल रही है।

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