जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान नहीं उस घर में बरकत नहीं होती, अगर यह कहावत सच है तो उत्तर प्रदेश में खुशहाली के तमाम सरकारी दावे खोखले हैं। प्रदेश की सरकारी मशीनरी बुजुर्गों के साथ बेहद निष्ठुर और अमर्यादित व्यवहार कर रही है। 

पेंशन के लिए आये बुजुर्गों का हो रहा दुत्कार:

बुजुर्गों ख़ास कर महिलाओं की हितैषी बनने वाली योगी सरकार के अधिकारी इन बुजुर्गों के साथ कैसा बर्ताव कर रहे हैं, इसका पता लगाना हो तो मथुरा स्थित विकास भवन कार्यालय पहुँच जाइए. जहाँ परिवार से बेघर हुए असहाय और दुर्बल बुजुर्ग जब सरकार के पास आसरे के लिए पहुंचे तो वहां से भी उनको निराशा हाथ लगी.

गुरुवार की दोपहर को मथुरा के विकास भवन(राजीव भवन) का नजारा देख कर हर किसी की आंखें नम हो गईं लेकिन अगर नहीं पिघेले तो बस सरकारी कर्मचारी और अधिकारी।

मामला मथुरा का है, जहाँ विकास भवन स्थित समाज कल्याण अधिकारी के दफ्तर के बाहर का नजारा देख योगी सरकार में बुजुर्गों की स्थिति का साफ़ पता चला.

4 दिन से भूखी वृद्धा को पेंशन की आस:

गुरुवार को बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपनी पैंशन की फरियाद लेकर विकास भवन स्थित समाज कल्याण अधिकारी के दफ्तर पहुंचे थे। इनमें वृंदावन के देवीआटस गांव की 82 वर्षीय वृद्धा भी शामिल थी।

वृद्धा ने बताया कि चार दिन से उसने खाना नहीं खाया है। दूसरा कोई सहारा नहीं है। ग्राम प्रधान और सक्रेटरी सुन नहीं रहे हैं। कई महीने से इनके चक्कर काट रही हूं। किसी ने बताया तो वह मथुरा आई लेकिन यहां भी किसी ने उसकी फरियाद नहीं सुनी है। वृद्धा ने बताया कि उससे कह दिया गया है कि दो चार महीने में पैंशन मिल जाएगी।

कोई 6 तो कोई 8 महीने से लगा रहा कार्यालय के चक्कर:

राजीव भवन पर अपनी पीड़ा बताते बताते वृद्धा की आंखों से बरबस ही आंसू निकल आये। मौके पर मौजूद लोगों की आंखे भी नम हो गर्इं/

दूसरे बुजुर्गों की भी यही स्थिति थी। किसी को छह महीने से, तो किसी को आठ महीने से पैंशन नहीं मिली है। जिला समाज कल्याण अधिकारी डा.करुणेश त्रिपाठी ने संसाधनों की कमी का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिये। उन्होंने कहा कि 11 कर्मचारियों का काम एक व्यक्ति कर रहा है। ऐसे में ज्यादा बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

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