चुनाव आयोग ने लाभ का पद के मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका दिया।  20 विधायकों के भाग्य का फैसला चुनाव आयोग ने कर लिया है. सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग ने इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की है शुक्रवार को बैठक के बाद अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी है। आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है।

इसी मामले में पार्टी के संजय सिंह आज मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कल चुनाव आयोग ने बगैर विधायकों का पक्ष सुने हुए उनकी सदस्यता खत्म कर दी। क्या मोदी जी की सरकार में संवैधानिक संस्थाओं का कोई मतलब नहीं रहा । वहीं, चार सर्वोच्च न्यायाधीशों को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहना पड़ रहा है कि संविधान खतरे में है। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि विधायकों के पक्ष को बिना सुनें ही। उन्हे सजा  दे दी गयी। उस दौरान उन्होंने नियुक्ती के बारे में बताते हुए कहा कि ये हमारे संसदीय सचिवों की नियुक्ति का पत्र है, इसमें साफ लिखा है कि किसी भी प्रकार से इन्हें सरकारी सुविधा सुपलब्ध नहीं होगी। संसदीय सचिव को कार्यालय, बंगला नहीं दिया गया तो लाभ का पद कैसे हो गया

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वहीं, बताया कि इन्ही संसदीय सचिवों के अनेक मामले है 2006 में शीला दीक्षित ने 19 विधायकों की नियुक्ति की और लाभ के पद का सवाल उठने पर कानून बनाकर राष्ट्रपति के पास भेज दिया और पास हो गया।

हरियाणा में 4 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया

उन्होंने कहा कि हरियाणा में चार विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया। उनकी नियुक्ति को हाई कोर्ट ने रद्द किया लेकिन सदस्यता रद्द नहीं की। बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि  देश का चुनाव आयोग बीजेपी के मोदी के एजेंट के रूप में काम कर रहा है।

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हाईकोर्ट ने इन संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया तो एकेज्योति ने अपने पुराने मालिक मोदी जी का ख्याल रखा। जिनके साथ गुजरात में काम किया बंगला मिला था गुजरात में तीन दिन बाद एके ज्योति रिटायर होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले को लेकर हम हाइकोर्ट जाएगें। जहाँ नियुक्तियां रद्द हुईं वहां सदस्यता रद्द नहीं हुई। तो फिर किस कानून से दिल्ली के विधायकों की सदस्यता। रद्द की चुनाव आयोग जवाब दे या तो कहे कि सब पीएम मोदी के आदेश पर हुआ है।

वहीं, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी द्वारा अरविन्द केजरिवाल से इस्तीफ़ा आगे जाने पर संजय ने कहा कि पहले मोदी जी से पहले इस्तीफ़ा मांगे मनोज तिवारी ,पंजाब ,छत्तीसगढ़ जाएं वहां इस्तीफ़ा मांगे

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लोकतंत्र की हत्या में कांग्रेस पर भी प्रहार हुए। उत्तराखण्ड गोवा में हुआ ये लोकतंत्र की हत्या है ये हमने उस समय आवाज उठाई लेकिन कांग्रेस जिसने आपातकाल लगाया था वो केजरीवाल जी का इस्तीफा मांग रहे हैं।

यहाँ संसदीय सचिवों की नियुक्ति में तनख्वाह नहीं दी गयी गाड़ी बंगला नहीं दिया गया है

सुनवाई किए बगैर फाँसी की सजा सुना दी।

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चुनाव आयोग जवाब दे जो स्कूल माफियाओं से लड़ेंगे उनको इस तरह की समस्याओं से जूझना पड़ेगा

हमे लगता है हमें राहत मिलेगी। इस दौरान कहा कि आगामी सोमवार को हाइकोर्ट में सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई है

 

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