सांतवे चरण में 19 मई को होगा सीएम योगी के संसदीय क्षेत्र में चुनाव
बीते दिन देर शाम को दिल्ली में चुनाव आयुक्त ने प्रेस मीटिंग में लोकसभा के होने वाले चुनावो की तिथि को क्लियर किया। कल देर शाम से ही आचार संहिता भी लागु हो गई थी। वही अगर गौर किया जाये उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव की तिथि पर नजर दौड़ाई जाये तो लोकसभा के चुनाव के अंतिम चरण यानि सांतवे चरण यानि 19 मई को होंगे चुनाव। योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में मतदान सातवें चरण में 19 मई होगा। इसके बाद मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने भाजपा उम्मीदवार उपेन्द्र शुक्ल को हरा कर 29 साल बाद यह सीट भाजपा से छीन ली थी।
- यहां सदर लोकसभा सीट पर 1989 से मार्च 2018 तक भाजपा का कब्जा रहा।
- 1998 से 2017 में मुख्यमंत्री बनने तक योगी आदित्यनाथ ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया।
- उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफ़ा दे दिया था।
पिछले उपचुनाव में 29 साल से चला आ रहा भाजपा का कब्जा खत्म कर प्रवीण निषाद ने हासिल की थी जीत
पिछले यानि मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में सपा-बसपा के साथ आने से गोरखपुर सीट के समीकरण बदल गए थे। 29 साल से चला आ रहा भाजपा का कब्जा खत्म कर प्रवीण निषाद जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे।
- इस बार भी इस सीट पर भाजपा, महागठबन्धन और कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है।
- इस बीच भाजपा ने लगातार चुनावी अभियानों के साथ ही सपा सहित दूसरे दलों से अलग-अलग जातियों के नेताओं को शामिल कर अपने समीकरण ठीक करने की कोशिश की है।
महासमर में नए समीकरणों और महागठबन्धन, कांग्रेस की तैयारियों की होगी परीक्षा
2019 के इस महासमर में इन नए समीकरणों और महागठबन्धन, कांग्रेस की तैयारियों की परीक्षा होगी। देश में 1951-52 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। तब गोरखपुर और आसपास के ज़िलों को मिलाकर चार सांसद चुने जाते थे। 1951-52 में सिंहासन सिंह गोरखपुर दक्षिण से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। यही सीट बाद में गोरखपुर लोकसभा सीट कहलाई। 1957 में गोरखपुर लोकसभा सीट से सिंहासन सिंह दूसरी बार चुनाव जीते। 1962 के चुनाव में पहली बार गोरक्षपीठ ने चुनावी राजनीति में पदार्पण किया।
- गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ हिंदू महासभा के टिकट पर मैदान में उतरे।
- लेकिन वह कांग्रेस के सिंहासन सिंह से कुछ वोटों के अंतर से हार गये।
- महंत दिग्विजयनाथ ने कांग्रेस को लगातार टक्कर दी लेकिन चुनाव में पहली सफलता 1967 में मिली।
- दो साल बाद ही 1969 में उनका निधन हो गया।
- 1970 में उपचुनाव हुआ। तब उनके उत्तराधिकारी और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ मैदान में उतरे।
- उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की।
- 1971 के चुनाव में कांग्रेस के नरसिंह नरायण पांडेय ने यह सीट वापस ले ली।
रिपोर्ट:- संजीत सिंह सनी
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