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उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे चेहरे हैं इनके आगे किसी भी नेता की जीत बहुत ही चुनौती रहती है। करीब आधा दर्जन से अधिक नेता ऐसे हैं इनका दुर्ग भेद पाना किसी भी नेता के लिए मुश्किल काम है। यूपी के दुर्ग की कुछ अभेद्य सीटें हैं इन सीटों पर मोदी, अखिलेश या मायावती किसी भी दिग्गज की लहर नहीं चलती।
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यह हैं उन नेताओं के नाम
- आजम खां- समाजवादी पार्टी के कद्दावर और वरिष्ठ नेता आजम खां रामपुर जिले में सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं। अगर बात 1996 के उपचुनाव को छोड़ करें तो आजम खां ने 1980 से लेकर 2017 तक नौ बार इस सीट पर जीत दर्ज की है। प्रदेश में मोदी लहर होने के बाद भी आजम की इस सीट को कोई हिला नहीं सका।
- प्रमोद तिवारी- यूपी के प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास विधानसभा सीट से साल 1980 से लेकर 2012 तक के नौ चुनावों में कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी ने जीत हासिल की है। वह 2014 में राज्यसभा पहुंचे तो उन्होंने यह सीट अपनी बेटी आराधना मिश्रा को सौंप दी। 2014 में हुए उपचुनाव और 2017 के आम चुनाव में आराधना इस सीट पर जीत हासिल की।
- राजा भैया- यूपी के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट पर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का परचम लहराता आया है। राजा भैया के किले को भेद पाना किसी भी नेता के लिए बहुत ही चुनौती पूर्ण है। उन्होंने पहली बार 1993 में कुंडा सीट से निर्दल प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी। तब से राजा भैया लगातार निर्दलीय पद पर ही चुनाव लड़ते आये हैं उन्होंने पांचवी बार फिर जीत हासिल की है। राजाभैया से पहले कुंडा विधानसभा सीट से कांग्रेस के नियाज हसन 1962 से 1989 तक 5 बार विधायक रहे हैं। राजाभैया कल्याण सिंह, राम प्रकाश, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह और अखिलेश सरकार में मंत्री रहे हैं। अब देखना यह होगा की भाजपा सरकार में उन्हें मंत्री बनाया जाता है कि नहीं।
- सुरेश खन्ना- उत्तर प्रदेश की शाहजहांपुर नगर सीट सुरेश खन्ना आठवीं बार बीजेपी के विधायक बने हैं। उनके इस दुर्ग को भेद पाना बहुत ही मुश्किल काम है। सुरेश खन्ना ने छात्र राजनीति मुख्य धारा की राजनीति में कदम रखा और पहली बार इस सीट पर 1980 में लोकदल पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था। 1989 में सुरेश खन्ना भजपा के टिकट पहली बार इस सीट पर चुनाव जीते। तब से वह लगातार इस सीट पर लगातार चुनाव जीतते आये हैं।
- नरेश अग्रवाल- यूपी के हरदोई जिले की सदर विधानसभा सीट पर नरेश अग्रवाल का परचम लगातार फहराता आया है। नरेश के इस दुर्ग को भेद पाना किसी भी दल के लिए बहुत ही चुनौती पूर्ण है। नरेश अग्रवाल ने इस सीट पर 1980 में पहला चुनाव जीता। वह वर्ष 1985 चुनाव नहीं लड़े थे, लेकिन 1989 से 2007 तक लगातार छह बार वह यहां से विधायक रहे। 2008 में नरेश राज्यसभा चले गए तो उपचुनाव से लेकर 2017 के चुनाव तक उनके बेटे नितिन ने लगातार तीसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की है।
- दुर्गा प्रसाद यादव- यूपी के आजमगढ़ जिले की सदर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गा प्रसाद यादव लगातार जीत दर्ज करते आये हैं। यहां उनके आगे किसी भी पार्टी की लहर नहीं चलती। दुर्गा प्रसाद 1985 में पहली बार सदर्न विधानसभा इस सीट पर चुनाव लड़े और उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद से दुर्गा 2012 तक सात बार इस सीट से विधायक चुने गए। इस बार पूरे प्रदेश में मोदी लहर चली लेकिन दुर्गा ने यह सीट जीत कर सपा की झोली में डाली। उनका यह किला भी किसी दुर्ग से कम नहीं है।
- सतीश महाना- यूपी के कानपुर महराजपुर सीट के अन्तर्गत आने वाली काफी आबादी कैंट विधानसभा सीट में आती है। यहां कैंट सीट पर सतीश महाना ने 1991 में जीत दर्ज की थी तब से वह लगातार चार चुनाव जीतते आये हैं। यह सीट सतीश महाना के नाम से जानी जाती है। सतीश ने 2012 में परिसीमन के बाद और 2017 का चुनाव महराजपुर सीट से लड़ा और उन्होंने यहां भी जीत दर्ज की। लोगों का कहना है कि सतीश महाना के लिए यह सीट भी कैंट की तरह ही अभेद्य किला बन गई है।
- अखिलेश सिंह- यूपी के रायबरेली जिले की सदर विधानसभा सीट माफिया अखिलेश सिंह के नाम से जानी जाती है। अखिलेश सिंह लगातार इस सीट पर अपनी जीत का झंडा गाड़ते रहे हैं। अखिलेश 1993 से लगातार इस सीट पर विजय हासिल कर रहे हैं। अखिलेश साल 1993,1996 और 2002 में चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीते। लेकिन, 2007 का चुनाव निर्दल और 2012 में पीस पार्टी के टिकट पर जीते। पूरे प्रदेश में जब 2017 में मोदी लहर थी इसके बावजूद अखिलेश इस सीट पर अपनी बेटी अदिति सिंह को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जितवा दिया। अब इस सीट को अखिलेश के नाम से जाना जाने लगा है। इन सीटों में ज्यादातर जिलों में सदर सीटें ही प्रत्याशियों की पसंद बनी हैं जिन्हें भेद पाना किसी के लिए भी बहुत ही मुश्किल है।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.