जीवन में आज़ादी का कितना बड़ा महत्व है ये हम भारतीयों को शायद समझाने की ज़रूरत नही है| लेकिन इस महत्त्व को समझने के बाद भी बहुत से लोग घर में पल रहे बेज़ुबान पशुओं के साथ अत्याचार करने के बाज़ नही आते| ऐसे ही कुछ बेजुबानों में से एक है लखनऊ के निकट के एक गांव में पलने वाला हाथी ‘मोहन’ | इसे अगर दुनिया का सब से बदनसीब हाथी कहा जाए तो शायद गलत न होगा|
हाथी मोहन का मालिक देता था यातनाएं-
- हाथी मोहन का मालिक उस पर 50 वर्षों से यातनाएं देकर मंदिरों के आसपास घुमाकर भीख मंगवाने व शादी-ब्याहों में ले जाने का काम करता था|
- 55 बरस के मोहन को उसका मालिक बहुत ही ज्यादा प्रताड़ित करता तथा बहुत अत्याचार करता था।
- भीख मंगवाने व ढेर सारा काम करने के बाद भी मोहन को भरपेट खाना नहीं मिलता था।
- मोहन के शरीर पर जगह-जगह उसे मारे-पीटे जाने के अनगिनत निशान देखे जा सकते हैं।
- महान शरीर से केवल हड्डियों का ढांचा भर रह गया है।
‘वाइल्ड लाइफ-एसओएस’ ने बड़े परिश्रम के बाद मुक्त कराया मोहन को
- संस्था के जन संपर्क अधिकारी सुविधा भटनागर ने एक प्रेसनोट के माध्यम से जानकरी दी के मोहन को आज़ाद करा लिया गया है|
- मोहन को आज़ाद कराने के लिए वन्यजीवों संरक्षण के एक संगठन ‘वाइल्ड लाइफ-एसओएस’ ने दो वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी|
- वाइल्डलाइफ-एसओएस की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने मोहन की हालत देखते हुए उसे तुरंत मुक्त कराने के आदेश पुलिस व वन विभाग को दे दिया।
- ‘ वाइल्डलाइफ-एसओएस के इसने परिश्रम के बाद हाथी ‘मोहन’ अब आज़ाद है ।
मोहन को ‘हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र’ में रखा गया है
- मोहन को मथुरा के चुरमुरा गांव में स्थित ‘हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र’ पर पहुंचा दिया गया।
- चार वर्ष पूर्व एक सर्कस से मुक्त कराई गई हथिनी ‘फूलकली’ ने किया मोहन का स्वागत|
- 2014 में मोहन के साथ का हाथी राजू भी पहले से ही इस केंद्र में है|
- राजू और मोहन बचपन से एक साथ रहे हैं|
- मोहन को पहचानते ही राजू ने ख़ुशी से चिंघाड़ना शुरु कर दिया।
संस्था के दोनों संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण एवं गीता शेषमणि ने कहा , ‘अब मोहन अपने 22 अन्य नर व मादा हाथियों के साथ अनुकूल वन्य वातावरण में जिन्द्गी के बाकी बचे दिन आज़ादी के साथ बिता सकेगा जहां उसे लगातार हाथियों की चिकित्सा एवं देखभाल विशेषज्ञों की निगरानी में रखा जाएगा।’
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Mohammad Zahid
मैं @uttarpradesh.org का पत्रकार हूँ। तथ्यों को लिखने से मुझे कोई रोक नहीं सकता।नवाबों के शहर लखनऊ का हूँ इसलिए बुलंद आवाज़ भी उठाता हूँ तो बड़े एहतराम से....