उत्तर प्रदेश स्टेट हाइवे अथारटी के दिल्ली-सहारनपुर (170.30 किलोमीटर) मार्ग का निर्माण में करोड़ों रूपयों के घोटाले का खुलासा परियोजना महाप्रबंधक शिवकुमार अवधिया ने किया।
- उन्होंने विभूतिखण्ड थाने में मामला पंजीकृत कराते हुये वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह सहित प्रमुख नामचीन चेहरों पर घोटाले का आरोप लगाया।
- विभूतिखंड थाना पुलिस ने एसएसपी को एक रिर्पोट भेज दी है और पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू से कराने का कहा है।
विभूतिखंड थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज
- बता दें कि अखिलेश सरकार के वरिष्ठ पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह का एक और 1735 करोड़ रूपये के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है।
- आरोप है कि यह खेल अखिलेश यादव और उनके एक अधिकारी ने खेला है।
- ‘दिल्ली-यमुनोत्री’ हाइवे ( एसएच-57:206 किमी) पर भी अरबों रुपये का घोटाला हुआ है।
- इस मार्ग के निर्माण के लिए करीब 1735 करोड़ रुपये की रकम बैंकों की मिलीभगत से निकाल कर सीईडब्लू नामक हैदराबाद की निर्माण कम्पनी पैसा लेकर रफ्फूचक्कर हो गई।
- इस मामले में राजधानी के विभूतिखंड थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
900 दिन में काम पूरा करने का दावा
- वहीं परियोजना महाप्रबंधक ने पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि फोरलेन निर्माण का काम मेसर्स एसईडब्ल्यू-एसएसवाई हाइवेज लिमिटेड को दिया गया था।
- उप्सा ने इसके लिए कम्पनी के सुकरवा अनिल कुमार और अलोरी साईबाबा से एक अगस्त 2011 को एग्रीमेंट किया था।
- डायरेक्टर्स ने 30 मार्च 2012 को काम शुरू करके 900 दिन में काम पूरा करने का दावा किया।
- परियोजना की कीमत 1735 करोड़ रुपये थी।
- इसके बाद उप्सा के परियोजना महाप्रबंधक शिवकुमार अवधिया ने विभिन्न ठेकेदार कम्पनियों के डायरेक्टर्स और बैंकों के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स समेत 18 लोगों के खिलाफ विभूतिखंड थाने में धोखाधड़ी व अमानत में खयानत की एफआईआर दर्ज करायी है।
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धीमी गति से काम शुरू किया गया काम
- बता दें कि उत्तर प्रदेश में दिल्ली-सहारनपुर मार्ग की दूरी 170.30 कि. मी. है।
- इस मार्ग का काम ‘उपशा (UPSHA- Uttar Pradesh State Highways Authority)’ द्वारा PPP(Private-Public Partnership) के आधार पर बनाने के किए ठेके के रूप में April, 2012 को दिया गया था।
- पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद अखिलेश यादव ने मार्च 2012 में सीएम पद की शपथ ली थी।
- इसके बाद कम्पनी ने बैंक से ऋण लिया।
- कम्पनी की काम पूरा करने की छमता न होने के कारण काम धीमी गति से काम शुरू किया।
कंपनी ने नहीं किया कोई खास काम
- बताया जा रहा है कि उपशा का यह अधिकारी अध्यक्ष है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बेहद करीबी है।
- यमुनोत्री मार्ग का काम देख रही ठेकेदार कम्पनी SEW ने सितम्बर 2014 तक कोई भी काम नहीं किया।
- कागजों पर काम दिखाकर बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से पैसा निकाल कर नेताओं/अधिकारियों का कमीशन के रूप में करीब 455 करोड़ रुपये दे दिया।
- बताया जा रहा है की उपशा द्वारा 11 जून 2014 तक कम्पनी द्वारा कोई काम न किए जाने पर भी इस कम्पनी का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करके इस कार्य की अवधि 371 दिन और बढ़ा दी।
- नवम्बर 2013 से मौक़े पर काम बंद है।
- दिनांक 24 फरवरी 2017 को अचानक उपशा के महाप्रबंधक ने खुद को बचाने के लिए विभूतिखंड में एफआईआर दर्ज कराई।
- सूत्रों का कहना है कि इस अधिकारी को पहले से एहसास हो गया अब सपा सरकार यूपी से जा रही है और भाजपा की सरकार आने वाली है।
- इसीलिए यह केस दर्ज करवाया गया।
- सूत्रों का यहां तक कहना है कि इस अधिकारी ने भाजपा का चोरी छिपे दामन थम भी लिया है।
- इतना ही नहीं यह अधिकारी भाजपा के दिग्गज नेताओं से मीटिंग भी कर रहा है।