उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के झांसी में बने सबसे बड़े बाँध प्रोजेक्ट एरेच बाँध में का बड़ा घोटाला सामने आया है. यहाँ डीपीआर में जितना पानी नहीं उससे ज्यादा पानी का खर्च दिखाकर मंत्रियों, अधिकारियों और ठेकेदारों जमकर कर लूट मचाई है.
ये है पूरा मामला-
- बुदेंलखंड में पानी की किल्लत को देखते हुए पिछली सरकार ने सबसे बड़े बाँध परियोजना की शुरुआत की थी.
- साल 2015 में झांसी में शुरूहुई इस परियोजन में 721 करोड़ रूपए की लागत लगाईं गई.
- सरकार का दावा था की प्रदेश भर में बने बांधों में ये सबसे आधुनिक तकनीक से बनाया जाने वाला बाँध है.
- लेकिन योगी सरकार ने इस परियोजन को अपने रेडार में लेते हुए इसकी जांच शुरूकर दी.
- जांच शुरू होते ही परियोजना के दौरान हुए महाघोटालों की परतें एक के बाद एक निकल कर सामने आने लगी हैं.
- जिसमे मंत्री और अधिकारियों से लेकर ठेकदारों तक की लूट सामने आ रही है.
- डीपीआर में जितना पानी नही उससे कहीं ज्यादा पानी का खर्च दिखाया गया है.
- बता दें की डैम में पानी की भण्डारण क्षमता सिर्फ 62 मिलियन क्यूबिक मीटर है.
- लेकिन इसका खर्च 103 मिलियन क्यूबिक मीटर दिखाया गया है.
- यही ही इस यहाँ की ज़रुरत के मुताबिक बिजली के लिए 35 मिलियन क्यूबिक मीटर,
- पीने के 28 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी चाहिए.
- वहीँ 18000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए नहरों को भी 27 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी चाहिए.
- जबकि 2500 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए भी पाइप लाइनों में 21 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी चाहिए.
- लेकिन पानी की ये आवश्यकता डैम के स्टोरेज क्षमता से काफी कम है.
- जिसके चलये ये बाँध क्षेत्र में पानी की ज़रुरत को पूरा नही कर पायेगा.
- इसी कारण नबार्ड भी इस परियोजन को खारिज कर चूका है.
- लेकिन मंत्रियों, अफसरों और ठेकेदारों ने डीपीआर जितना पानी नही उससे कहीं ज्यादा पानी का खर्च दिखाकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया.
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