उत्तर प्रदेश के दादरी में हुए ‘बीफ कांड’ में नया खुलासा हुआ है। अखलाक के घर या उसके फ्रिज से कोई मांस नहीं पाया था। सामने आई ओरिजिनल पुलिस रिपोर्ट के अनुसार अखलाक के घर से कोई भी मांस का टुकड़ा नहीं मिला था। रिपोर्ट के अनुसार जांच के लिए भेज गया मांस का टुकड़ा का नमूना उप निरीक्षक तेज पाल ने 28 सितंबर, 2015 को एक ट्रांसफार्मर के पास त्रिकोणीय जंक्शन से कुछ गवाहों की उपस्थिति में उठाया था।
गौरतलब है कि पहली फोरेंसिक रिपोर्ट में जांच के लिए भेजे गए मांस को मटन बताया गया था। एक बार दोबारा फॉरेंसिक जांच हुई तो पता चला कि मांस का टुकड़ा अख़लाक़ के घर में पका मीट गाय या बछड़े का था और अब नई रिपोर्ट के अनुसार, फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया जांच का नमूना अखलाक के घर से नहीं बल्कि कहीं बाहर से लिया गया था।
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एक रिपोर्ट बदले जाने के बाद दूसरी रिपोर्ट और फिर एक नई रिपोर्ट। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में हो रही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में अब आगे कौन सा मोड़ आयेगा ये तो कौन नहीं जानता। लेकिन सपा सरकार ने न सिर्फ फॉरेंसिक रिपोर्ट के साथ खिलवाड़ किया बल्कि अख़लाक़ के परिवार को 20 लाख रुपये नकद, बीमारी का बेहतर इलाज और नोएडा में फ्लैट देकर अपने को अखलाक परिवार का सबसे बड़ा हितैषी के रूप में दिखाया।
दादरी में बीफ के शक में भीड़ द्वारा एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डाला गया था, बेशक घटना निंदनीय है, और सम्बंधित लोगों पर कार्यवाई होनी चाहिये थी, जो हुई। करीब 15 दोषी लोगों पर आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा चल रहा है और वो जेल में हैं। अखलाक मामले में आये दिन सामने आ रहे नए सबूतों के मद्देनजर अब यह देखना बाकी है कि प्रदेश में हो रही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में और कौन से नए मोड़ आते हैं।