देवरिया नारी शरणालय काण्ड के बाद प्रशासन की प्रदेश के लगभग हर संरक्षण में जांच से कई अन्य गंभीर मामलें सामने आये हैं. कही संरक्षण गृहों में महिलाओं और बच्चों की संख्या दस्तावेजों में है लेकीन निरीक्षण में वे संरक्षण गृह से नदारद दिखी, जिससे सरकारी फंड का दुरुपयोग और घोटाले का मामला देखने को मिला तो कही फर्जी संरक्षण गृह चल रहे है. तो इन्हीं सब में एक सबसे अहम समस्या देखने को मिली क्षमता से ज्यादा को आश्रय देने की.
राजकीय नारी निकेतन से शिफ्ट होंगी महिलाएं:
जी हाँ, इलाहाबाद के महिला शरणालय में जब जांच हुई तो पता चला कि वहां क्षमता से अधिक महिलाएं हैं. जिसकी वजह से महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं. इसके बाद फैसला लिया गया कि इन्हें जिलों के अन्य आश्रय गृहों में भेजा जाएगा। इसकी सिफारिश डीएम सुहास एलवाई ने शासन से कर दी है।
50 महिलाओं की क्षमता, रखी गई 85 महिलायें:
बता दें कि सरकार के निर्देश पर सोमवार को सीडीओ सैमुअल पाल एन, एडीएम सिटी रजनीश राय व सिटी मजिस्ट्रेट एके कनौजिया ने महिला शरणालय, राजकीय शिशु गृह, बाल सम्प्रेक्षण गृह व बालिका गृह का निरीक्षण किया था। महिला शरणालय में 50 महिलाओं को रखने की क्षमता है जबकि इसमें 85 महिलाओं को रखा गया है। इससे असुरक्षा के साथ अव्यवस्था भी है।
राजकीय शिशु गृह दत्तक ईकाई में भी क्षमता से अधिक हैं बच्चे:
राजकीय शिशु गृह की दत्तक इकाई में 30 बच्चे रखे गए हैं जबकि इसमें केवल 10 नवजातों को ही रखा जा सकता है। इस इकाई में जीरो से लेकर छह माह तक शिशुओं को संरक्षित किया जाता है। इनकी भी देखभाल नहीं हो पा रही है और कई बच्चों की मौत हो चुकी है। इस इकाई के पांच बच्चों का अभी चिल्ड्रेन अस्पताल में इलाज चल रहा है।
डीएम ने 35 महिलाओं और 20 नवजातों को शिफ्ट करने की शिफारिश की:
अपनी रिपोर्ट में डीएम ने महिला शरणालय की 35 महिलाओं व दत्तक ग्रहण की इकाई के 20 नवजातों को दूसरे जिलों के आश्रय स्थलों में शिफ्ट करने की सिफारिश की है।
रिपोर्ट में उन्होंने दलील दी है कि नारी निकेतन, राजकीय शिशु गृह, बालिका गृह व सम्प्रेक्षण गृह में आसपास के 25 जिलों से लोग लाए जाते हैं। दूर के जिलों से आने वाले नवजात शिशुओं की हालत पहले से ही काफी खराब रहती है। क्षमता से अधिक लोगों को आश्रय देने की वजह से भी समस्या हो रही है।