उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में भारत के अन्न दाता कहे जाने वाले किसान अन्न के लिए ही खाना पीना त्याग कर आज अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन पर उतर आये हैं. पिछले 4 दिनों से जिले के कचहरी चौराहे पर स्थित गांधी उत्थान पर बैठे किसानों ने उनकी मांगों के पूरे न होने पर भूख से जान दे दें की भी चेतावनी दी.

4 दिन से किसान अनशन पर :

वैसे तो अन्न दाता को भगवान माना जाता है लेकिन जब अन्न दाता ही अनाज को लेकर परेशान हो तो आखिर वो किसके पास जाये? और किससे अपनी तखलीफ़ बताएं.
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ठीक यही आलम आज कल झांसी जिले में देखने को मिल रहा है. झांसी जिले के कचहरी चौराहे पर स्थित गांधी उत्थान में पिछले चार दिनों से इमलिया गाँव के किसान अन्न की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं.

खराब रबी की फसल और बाँध को लेकर मुआवजे की मांग:

प्रदर्शन कर रहे किसानों से जब उनकी समस्या और अनशन करने के पीछे के कारणों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि एक तो प्रकृति की मार के कारण हमारी रबी की फसल खराब हो चुकी है, वहीं पिछले लगभग 12 से चौदह साल पहले खुदे बांध का भी मुआवजा हम किसानों को नहीं दिया गया.

उन्होंने बताया कि केवल एसडीएम आते है और सांत्वना देकर चले जाते है.

एसडीएम ने दिया आश्वासन:

किसानों ने नाराज़ होते हुए कहा कि अब हमें सांत्वना नहीं, समाधान चाहिए. इसके लिए उन्होंने चेतावनी भी दी कि उनकी मांगें पूरी होने के बाद ही वे लोग अपना अनशन खत्म करेंगे.

वहीं मांगें न पूरी होने पर धरना स्थल पर जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे और जान भी देनी पड़े तो वो भी करेंगे।

वहीं जब किसानों की समस्या और उनके प्रदर्शन को लेकर झांसी एसडीएम अनुनय झा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो भी रबी की फसल खराब हुई है, उसके लिए हमने प्रशासन से किसानों के लिए मुआवजे की मांग का प्रस्ताव भेजा हैं.

इनमें लगभग 163 गाँव के लिए 18 करोड़ मुआवजे का प्रस्ताव भेजा गया है ।

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