कृषि भूमि किसानों की माँ होती है जो अपने बेटों को फसल के रूप में अन्न देती है. जिससे किसान स्वयं और पूरे परिवार का भरण पोषण तो करता है साथ ही अन्य लोगों को भी अन्न उपलब्ध कराता है.
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- लेकिन किसानों की माँ रूपी कृषि भूमि पर इन दिनों कटान का संकट छाया हुआ है.
- जिसके जद में रोज कई कई बीघा जमीन गंगा में समा रही है और किसान चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं .
- वहीँ दूसरी तरफ शासन और प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है.
- मामला गाजीपुर जनपद के करण्डा इलाके का है.
- जहाँ कई गाँवों पिछले कई सालों से गंगा कटान से जूझ रहे हैं.
प्रतिदिन कटान का दंश झेल रहे गाँव के लोग-
- जनपद गाजीपुर के करण्डा इलाके के बयेपुर,पुरैना,रफीपुर,बड़हरिया सहित कई गाँव इन दिनों गंगा के क्रोध का शिकार रहे हैं.
- प्रदेश में इन दिनों जहाँ लोग बाढ़ के कहर से परेशान हैं.
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- वहीं गाजीपुर के गाँवों में गंगा के कटान का दंश गंगा किनारे के गाँव के लोगों को झेलना पड़ रहे हैं.
- यहाँ पर प्रतिदिन किसान सुबह उठकर अपने खेतों पर जाता है और यह देखता है कि आज उसका कितना खेत गंगा में समाहित हो गया.
- अब तक सैकड़ों बीघा जमीन गंगा में समाहित हो चुकी है.
- जिसके चलते हजारों लोग बेघर होकर अन्यत्र बस गये हैं.
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- ऐसे में प्रशासन की ओर से ठोस उपाय न किये जाने की वजह से भी लोगों में खासा आक्रोश है.
- कटान होते-होते इनके गाँव की दूरी गंगा से जो पहले दो किमी थी वो अब 500 मीटर ही रह गयी है.
पिछली सरकार ने कराया था बोल्डरिंग और पिचिंग का काम-
- पिछली सरकार ने 7 करोड़ रूपया खर्च करके पुरैना के पास 600 मीटर बोल्डरिंग और पिचिंग का काम कराया था.
- जिससे वहाँ तो कटान रूक गयी पर 2200 मीटर पिचिंग कार्य का स्टीमेट शासन के फाइलों में दबा पड़ा है.
- जिसके चलते आज भी अन्य हिस्सों में कटान जारी है.
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- ग्रामीणों का कहना है की हमारे खेत हर रोज़ कटान की भेंट चढ़ जाते हैं.
- वह दिन दूर नहीं जब हमारे लिये हमारे खेत सपना हो जायेंगे.
- सरकार हमसे खेतों का लगान वसूलेगी लेकिन वह खेत कहाँ गया हमारे आने वाली पीढ़ियों को पता भी नहीं लग पायेगा.
तीन परियोजनाओं को मिली स्वीकृति-
- इस समस्या के बाबत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में सदर विधायक संगीता बलवंत से जानने का प्रयास किया गया.
- उनका कहना था कि यह एक बड़ी समस्या है.
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- पिछली सरकारों ने कुछ भी नहीं किया हम लोग सरकार बनने के बाद सम्बंधित विभाग व अधिकारियों से मिलकर कटान रोकने के उपाय की माँग कर रहे हैं.
- यहाँ पर स्वीकृत तीन परियोजनाओं पर 40-40 लाख रूपया स्वीकृत हुआ है.
- जलस्तर कम होते ही इसपर काम कराया जायेगा.