अजीबोगरीब फतवा जारी करने वाले दारुल उलूम देवबंद विवादों में रहते हैं. कभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने तो कभी फिल्म न देखने के लिये फतवा जारी कर चुके दारुल उलूम देवबंद के नए फतवे का मुस्लिम महिलाओं ने जबरदस्त विरोध किया है. मुस्लिम महिलाओं के चमकदार बुर्के और चुस्त कपड़ों को लेकर ही दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी किया था, यहाँ तक की लिपस्टिक को भी लेकर फतवा जारी किया जा चुका है. वहीं अब फतवे के जरिये महिलाओं को फुटबॉल न देखने की नसीहत दी गई है.
मौलवी ने बताया, क्यों नहीं देखना चाहिए मुस्लिम महिलाओं को फुटबॉल
देवबंद के मुफ्ती अतहर कासमी ने कहा कि फुटबॉलर के घुटने खुले होते हैं, मुस्लिम महिलाओं के लिए मर्दों को देखना ही जायज नहीं है, ऐसे में घुटनों को देखना हराम है. मुस्लिम महिलाओं को फुटबॉल नहीं देखना चाहिए. मौलवी ने 2005 में सऊदी अरब में जारी फतवे को आधार बनाकर मुस्लिम महिलाओं को नसीहत दी है. कासमी ने कहा कि सऊदी अरब के मुफ्ती ने फुटबॉल देखने को लेकर जो फतवा दिया है वह बिल्कुल दुरुस्त है. उसमें कई वजहें भी बताई गई हैं. फुटबॉल खेलने वाले खिलाड़ियों के घुटने खुले होते हैं. महिलाओं के लिए तो मर्दों को देखना ही जायज नहीं है, फिर घुटने को देखना तो बिल्कुल नाजायज और हराम है.
पहले भी जारी हो चुके हैं अजीबो-गरीब फतवे
एक व्यक्ति ने दारुल उलूम देवबंद के इफ्ता विभाग से पूछा था कि उसके विवाह के लिए ऐसी लड़कियों के रिश्ते आ रहे हैं जिनके पिता बैंक में नौकरी करते हैं. देश का बैंकिंग तंत्र ब्याज पर आधारित है और ब्याज इस्लाम में हराम है. इसलिए ऐसे परिवारों में शादी करना कैसा है? 3 जनवरी को दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने जवाब में कहा कि ऐसे परिवार में शादी नहीं करनी चाहिए, जहां सूद की कमाई हो. मुफ्ती इकराम ने सवालकर्ता को सलाह देते हुए कहा कि कि वह ऐसे घर की तलाश करें जहां पर सूद की कमाई न आती हो.
चुस्त बुर्का पहनकर न निकलें:
एक और फतवे के जरिये कहा गया था कि औरतें जब बाहर निकलती हैं तो शैतान उन्हें घूरता है, इसलिए बिना जरूरत के औरत को घर से नहीं निकलना चाहिए और यदि जरूरत पड़ने पर महिलाएं घर से निकलें तो ढीला-ढाला लिबास पहनकर निकलें. तंग और चुस्त कपड़े या चुस्त बुर्का पहनकर न निकलें.