डॉक्टरों को भगवान को भगवान का दर्जा दिया गया है. लेकिन इंसानों की जिंदगी बचाने वाले जब हैवानियत पर उतर आये तो परिणाम भयावह होता है. इसी का नजारा आज लखनऊ के FI अस्पताल में देखने को मिला है.

मामला कैसरबाग थाना क्षेत्र के बर्लिंग्टन चौराहे के पास बने एफआई हॉस्पिटल (fi Hospital lucknow) का है। डॉक्टर और कर्मचारियों ने एक 15 साल के मरीज़ को बंधक बना लिया था. क्योंकि उसने कुछ रुपये इलाज के देने में देरी कर दी. आज मरीज की मौत हो क्योंकि डॉक्टरों ने उसे कहीं और रेफ़र नहीं करने दिया और पैसे की डिमांड करते रहे.

  • मनोज कुमार (15) का कुछ दिन पहले सीतापुर के लहरपुर में एक्सीडेंट हो गया था.
  • सीतापुर जिले के रहने वाले अनूप कुमार ने बताया कि मनोज उसका चचेरा भाई है.
  • इस हादसे में पीड़ित मनोज कुमार के सर में गंभीर चोटें आ गयी.
  • मनोज के माता-पिता नहीं हैं, अनूप का परिवार ही उसका पालन-पोषण करता है.
  • हादसे के बाद आनन-फानन में उसे सीतापुर में एडमिट किया गया.
  • जहां से उसे ट्रामा सेण्टर रिफर किया गया.
  • ठीक से इलाज न मिलने पर उसने एक निजी अस्पताल में भाई का इलाज कराने के लिए भर्ती कराया.

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सबकुछ बेचकर पीड़ित करा रहा था मनोज का इलाज:

  • पीड़ित तीमारदार ने बताया कि भाई को बचाने सब कुछ किया.
  • अपना खेत और अनाज बेंच कर सात लाख रूपये इकट्ठा किये.
  • डॉक्टर को दिए लेकिन फिर भी डॉक्टर और पैसे मांग रहे थे.
  • डॉक्टरों ने 1 लाख 58 हजार रु और मांगे थे और कहा था कि तब मरीज को जाने देंगे.
  • पीड़ित गुहार लगाता रहा कि मरीज को कहीं और ले जाने दीजिये जहाँ इसका इलाज हो जाये.
  • लेकिन हॉस्पिटल वालों में मरीज के मेडिकल टेस्ट की रिपोर्ट तक नहीं दी.
  • हॉस्पिटल में कैद हो चुके मरीज ने आज दम तोड़ दिया.
  • अब उसके पास कुछ नहीं बचा जबकि भाई की हालत में भी कोई सुधार नहीं है.

पुलिस ने दर्ज नहीं किया था मुक़दमा:

  • पीड़ित अनूप कुमार का कहना है कि कैसरबाग थाने में रिपोर्ट लिखाने गया था.
  • लेकिन थाने में उन्होंने मेरी रिपोर्ट नहीं दर्ज की.
  • पुलिस ने कहा कि कहाँ भागदौड़ करते रहोगे.
  • रिपोर्ट लिखाने का कोई फायदा नहीं है.
  • पीड़ित ने कहा कि उस वक्त FI अस्पताल का संचालक भी थाने में मौजूद था.
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