भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Energy) द्वारा वर्ष 2017-18 के लिये पूरे देश की संभावित (एन्टीसिपेटेड) बिजली आवश्यकता व बिजली उपलब्धता के बारे में जो आंकड़े जारी किये गये हैं। उसमें पूरे देश में वर्तमान वर्ष में कोई बिजली की किल्लत न रहने की बात की गयी है।
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बिजली की उपलब्धता 1337828 मिलियन यूनिट रहेगी
- इस पूरे मुद्दे पर उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आज नियामक आयोग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा से मुलाकात कर ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट पर लम्बी वार्ता करते हुए यह मांग उठायी कि वर्तमान में लम्बी अवधि के लिये जो भी बिजली उत्पादन गृह निजी क्षेत्र में प्रदेश में प्रस्तावित हैं।
- उन्हें अविलम्ब खारिज किया जाये और लांग टर्म के सभी वर्तमान बिजली उत्पादन गृहों के पी0पी0ए0 को पुनर्योजित किया जाये।
- ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करें तो पूरे देश में वर्तमान वर्ष में 1229661 मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता सभी राज्य के उपभोक्ताओं को होगी।
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- वहीं देश में बिजली की उपलब्धता 1337828 मिलियन यूनिट रहेगी।
- अर्थात 8.8 प्रतिशत बिजली ज्यादा उपलब्ध रहेगी और इसी प्रकार पीक आवर्स में पूरे देश में 6.8 प्रतिशत बिजली अधिक रहेगी।
- वहीं उ0प्र0 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पहली बार उ0प्र0 बिजली के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सरप्लस होने जा रहा है।
- आंकड़ों के अनुसार उ0प्र0 को जहां 117072 मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता है।
- उसके सापेक्ष 136419 मिलियन यूनिट की साल भर में उपलब्धता रहेगी।
- अर्थात लगभग 16.5 प्रतिशत की अधिकता पीक आवर्स में जहां उ0प्र0 को 17720 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी।
- वहीं आंकड़ों पर ध्यान दें तो उपलबधता 17866 मेगावाट रहेगी अर्थात 0.8 प्रतिशत की अधिकता।
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बिजली खरीद का करार किया जाये रद्द
- नियामक आयोग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा से वार्ता के दौरान उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने यह मुद्दा उठाया कि उ0प्र0 में बड़े पैमाने पर लम्बी अवधि के लिये निजी घरानों से पी0पी0ए0 किये गये हैं, जिनकी बिजली बहुत ही महंगी है।
- उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, भविष्य में एम0ओ0यू0 रूट के तहत लगने वाले सभी उत्पादन गृहों के करार को रद्द कर बिडिंग रूट के तहत ही उत्पादन गृहों को लगाया जाये और इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाये कि जो भी नये उत्पादन गृह लगें।
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- वह 5 साल के पी0पी0ए0 हों और उसके बाद वर्तमान मार्केट की दर पर आगे उनका आंकलन समय-समय पर किया जाये, जिससे महंगी बिजली का खामियाजा प्रदेश की जनता को न भुगतना पड़े।
- जब पूरे देश व प्रदेश में बिजली की अधिकता अनुमानित है तो जल्द बाजी में निजी घरानों के तहत लगने वाले उत्पादन गृहों से बिजली खरीद पर कोई जल्दबाजी न करके उनके करार को रद्द करना चाहिए।
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फोरम आफ रेगुलेटर में उठ सकता है मुद्दा
- नियामक आयोग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को यह आश्वासन दिया कि प्रदेश के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिये नियामक आयोग लगातार प्रयास कर रहा है।
- आगे भी भारत सरकार द्वारा जो अनुमानित बिजली की आवश्यकता व उपलबधता के आंकड़े जारी किये गये हैं।
- उसके मद्देनजर लम्बी अवधि के पी0पी0ए0 के तकनीकी मानकों पर आयोग गम्भीरता से पुनर्विचार करेगा और उपभोक्ता हित में जो भी कठोर निर्णय लेना पड़ेगा आयोग लेगा।
- आयोग हमेशा बिडिंग रूट के तहत उत्पादन गृह लगाने के पक्ष में रहा है।
- पी0पी0ए0 की अवधि भविष्य में 5 वर्ष ही किये जाने एवं समय-समय पर मौजूदा मार्केट की दर पर उनकी दरों पर पुनर्विचार करने का पक्षधर है।
- जरूरत हुई तो इस मामले पर (Ministry of Energy) आयोग फोरम आफ रेगुलेटर में भी बात उठायेगा।
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