उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है जिसका असर साफ़ तौर पर देखने को मिल रहा है। सपा सरकार के जाने के बाद भाजपा सरकार ने सत्ता में वापसी की है जिसका असर साफ़ तौर पर देखने को मिल रहा है। अब पिछली सरकार के जाने के बाद उसके एक मंत्री (bsp government minister) पर इलाहबाद उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
उच्च न्यायलय ने दिया आदेश (bsp government minister) :
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछली बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे दिया है। राज्य सरकार ने कोर्ट के दिए आश्वासन के बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। पूर्व मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल पर फतेहपुर सहित कई जिलों में 23 करोड़ रूपए की सरकारी जमीन हड़पने का आरोप लगा है। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कोई कार्रवाई न करने पर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी।
संयुक्त खंडपीठ ने दिया आदेश :
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की संयुक्त खंडपीठ ने ये आदेश दिया। याची वकील ने कोर्ट में कहा कि बसपा सरकार के मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल ने सपा की सदस्यता ले ली थी। उस दौरान सपा की सरकार भी थी जिसके कारण लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कार्यवाई नहीं की गयी थी।
सरकार ने रखा पक्ष :
राज्य सरकार का कहना था कि लोकायुक्त की जांच को लेकर लखनऊ पीठ में मामला विचाराधीन है। मगर विजिलेंस जांच में घोटाले के आरोप्ल साबित हुए है। राज्य सरकार जल्द प्राथमिकी दर्ज कर उचित कार्यवाई करेगी। राज्य सरकार के उचित कार्यवाई करने के आश्वासन के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।
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