राजधानी के गोमतीनगर स्थित मनीषा मंदिर बालिका गृह से शनिवार को मुक्त कराई गईं 14 बच्चियों को प्रताड़ित करने और जेजे एक्ट का उल्लंघन करने के मामले में रविवार को पुलिस ने संचालिका सरोजिनी अग्रवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। मनीषा मन्दिर की अध्यक्ष सरोजनी अग्रवाल पर किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 34/75/82/93 एवं किशोर न्याय अधिनियम 1986 की धारा 31/32 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। न्यायालय बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष की ओर से तीन पन्ने की रिपोर्ट गोमतीनगर पुलिस को सौंपी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चियों को बंधुआ मजदूरों की तरह रखा गया था। एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक जेजे एक्ट का उल्लंघन करने की एफआईआर दर्ज की गई है। जेजे एक्ट के तहत जिस सेक्शन में एफआईआर दर्ज की गई है, उसमें तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। अगर मनीषा मंदिर की संचालिका पर लगे आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो उन्हें तीन साल तक की सजा हो सकती है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]शादी विवाह में करवाया जाता था बच्चियों से काम[/penci_blockquote]
रिपोर्ट में जिक्र है कि मनीषा मंदिर में बुकिंग के तहत होने वाले शादी विवाह अथवा अन्य आयोजनों में बच्चियों से काम करवाया जाता था। साफ सफाई तक उनसे करवाई जाती थी, जो बालश्रम की श्रेणी में आता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जुलाई माह में वहां 23 बच्चे थे, लेकिन उनके सोने के लिए सिर्फ सात तख्त थे। एक के ऊपर एक तख्त रखकर बच्चियों को उसमें सोने के लिए कहा जाता था। इंस्पेक्टर गोमतीनगर डीपी तिवारी के मुताबिक समिति के अध्यक्ष कुलदीप रंजन की ओर से मनीषा मंदिर की संचालिका के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। तहरीर में बच्चियों से काम करवाने, बिना अनुमति के उन्हें रखने और उनका शोषण करने का आरोप है। कुलदीप रंजन ने जांच करने गईं समिति की सदस्य ऋचा खन्ना, सुधा रानी व डॉक्टर संगीता शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट दर्ज हुई है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]निजी वाहन चालक को बताया आश्रय गृह का स्टाफ [/penci_blockquote]
संस्था में स्टाफ नहीं है। संचालिका के निजी वाहन चालक और रसोइया को आश्रय गृह का स्टाफ बताया। बच्चियों के शारीरिक तकलीफों पर ध्यान नहीं दिया गया। संस्था में उचित खाने, पीने, रहने कपड़े व चिकित्सा की व्यवस्था नहीं थी। बिना समिति के अनुमति के बच्चियों को रखा गया था और उनके अभिभावकों से रुपये लिए गए। बच्चियों को शारीरिक दंड का सामना करना पड़ता था।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]नवरात्रि की दक्षिणा भी अपने पास रख लेती थी संचालिका[/penci_blockquote]
बच्चियों का आरोप है कि संचालिका उन्हें मारती थी। बच्चों ने समिति को बताया है कि उन्हें बासी खाना दिया जाता था और उनसे कपड़े धुलवाए जाते थे। नवरात्र में बच्चियों को खाना खिलाने के लिए लोग आते थे और जो दक्षिणा बच्चियों को मिलता था, उसे संचालिका अपने पास रख लेती थी। अभिभावकों से न तो मिलने दिया जाता था और न ही बात करने दी जाती थी।
[penci_related_posts taxonomies=”undefined” title=”Crime News” background=”” border=”” thumbright=”yes” number=”4″ style=”grid” align=”none” displayby=”up_crime_categories” orderby=”random”]