मरीज और तीमारदारों की सुरक्षा के लिए अन्य सरकारी अस्पतालों में भी फायर फाइटिंग सिस्टम की कोई ख़ास व्यवस्था नहीं है। जबकि फायर विभाग की ओर से शहर के सभी सरकारी अस्पतालों को अग्निशमन का इंतजाम करने का सुझाव दिया गया था। लेकिन इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए इन सरकारी अस्पतालों के पास बजट का ही अभाव है।
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बजट बना रोड़ा
- आपको बता दें कि हर सरकारी अस्पतालों को फायर फाइटिंग सिस्टम के लिए बजट जारी होता है।
- लेकिन अस्पतालों के पास अभी तक इसका पैसा न पहुंचने से अधिकारी लाचार हैं।
- उनका कहना है कि शासन से बजट न मिल पाने से फायर फाइटिंग उपकरण नहीं लग सके हैं।
- फायर सर्विस निदेशालय की ओर से बनी कमिटी ने पिछले साल सभी अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम की जांच की थी।
- कमिटी ने नवंबर में सभी अस्पतालों को नोटिस भेजकर फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने का निर्देश दिया था।
- तीन महीने बाद भी लेकिन इन अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगे थे।
- इस पर दोबारा मुख्या शमन अधिकारी ने रिमाइंडर जारी किया था।
- इस मामले पर इसके बाद सब्भी अस्पतालों से जवाब भी आया था।
- जिसके बाद उनका जवाब आया था की आधुनिक फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने के लिए उनके पास बजट नहीं है।
- इसके बाद सभी अस्पतालों ने शासन को पत्र लिखकर बजट माँगा भी था।
- ट्रामा सेण्टर की घटना के बाद एक बार फिर फायर विभाग ने सभी अस्पतालों से सुरक्षा उपकरणों की रिपोर्ट मांगी है।
- इस बार भी लेकिन सभी अस्पतालों का यही जवाब था कि शासन में बजट का प्रस्ताव अभी अटका हुआ है।
- वही इस मामले में मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी भवनों को आग से सुरक्षित करने आ आदेश जारी किया है।
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यहाँ नहीं हैं फायर फाइटिंग सिस्टम
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल
- झलकारी बाई चिकित्सालय
- बलरामपुर चिकित्सालय
- डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय
- डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान
- भाऊराव देवरस अस्पताल
- अवंतीबाई महिला अस्पताल
- रानी लक्समी बाई बाल महिला चिकित्सालय
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