यूपी में योगी सरकार को 9 माह पूरे हो चुके है सरकार ने तो इस बात का जश्न भी मना लिया है, लेकिन सरकार के लिए अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है, सरकार का एक नया घोटाला सामने आया है, समाज कल्याण विभाग ने अपने चहेते ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों का काम लैकपेड को दे दिया. इस बात का खुलासा बीजेपी युवा मार्चा के जिला उपाध्यक्ष रिंकू दूबे ने किया है साथ ही पत्र लिखकर सीएम योगी से कार्यवाही की मांग की है.
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यूपी मे योगी सरकार बनने के बाद पहला घोटाला सामने आया है
यूपी मे योगी सरकार बनने के बाद पहला घोटाला सामने आया है, समाज कल्याण विभाग ने चहेते ठेकेदारो को फायदा पहुंचाने के लिये करोड़ों का काम लैकपेड को दे दिया, मगर विभाग के अधिकारियों की साजिश का खुलाशा बीजेपी युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष रिंकू दूबे ने किया, मामले की जानकारी योगी सरकार के विधायक संजय जायसवाल को हुआ तो वे सक्रिय हुए और सीएम योगी को पत्र लिखकर मामले मे कार्यवाही की मांग की है.
संजय जायसवाल ने आरोप लगाया कि जब समाज कल्याण विभाग खुद मे कार्यदायी संस्था है तो प्रमुख सचिव मनोज सिंह ने किन परिस्थिति मे 11 करोड़ों समेत बलरामपुर जिले मे 40 करोड़ों का बजट यूपी की सबसे बदनाम और ब्लैक लिस्टेड संस्था लैकपेड को क्यो दे दिया.
प्रमुख सचिव इस सरकार में भी कर रहें भ्रष्टाचार
साफतौर पर संजय जायसवाल ने कहा कि कमीशन लेकर प्रमुख सचिव मनोज सिंह ने सपा सरकार के ठेकेदार अंशुल यादव ग्रुप को ठेका दे दिया, समाज कल्याण विभाग की यह एकीकृत योजना है जिसमे बस्ती मंडल के 11 गांव चयनित किये गये जो पुरे तरह से अनुसूचित बाहुल्य गांव मे आते हैं, मगर कार्य कराने के लिये समाज कल्याण विभाग ने अपनी सब संस्था समाज कल्याण निर्माण निगम को न देकर लैकपेड को दे दिया जो जाहिर करता है कि प्रमुख सचिव किस तरह से इस सरकार में भी भ्रष्टाचार कर रहे हैं
छोटे से गांव में करोंड़ों खर्च ?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बीजेपी सरकार बनने से पहले भी इस योजना के तहत लैकपेड को पैसा दे दिया गया था मगर तत्कालीन डीएम रमाकांत और बीजेपी नेता रहे जय चौबे ने शासन को पत्र लिखकर धन को वापस करा दिया था और अब फिर से इसी धन को वही प्रमुख सचिव ने साजिश रच कर लैकपेड को दोबारा बजट आवंटित कर दिया, एक एक गांव पर करोड़ों खर्च करने के पीछे भी प्रमुख सचिव की मंशा साफ नजर आती है कि वे एक छोटे से गांव मे करोड़ों कहां खर्च करेंगे.
इस पूरे मामले में प्रमुख सचिव की भूमिका बेहद संदिग्ध है..
भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष रिंकू दुबे ने भी मामले की पड़ताल करने के बाद असलियत सामने लाये और अब वे इस घोटाले की शिकायत भी सीएम से कर कार्यवाही के लिये पत्र भेज दिया है.सिर्फ बस्ती मंडल ही नही यूपी के दूसरे जिलों मे भी इस योजना के तहत करोड़ों का बंदरबाट किया जा चुका है, आनन- फानन मे जिस बजट को सपा सरकार मे वापस कर दिया गया था उस बजट का आखिर कैसे जल्दबाजी मे शासनादेश जारी कर पैसा रिलीज करने कर दिया गया.पुरे मामले मे प्रमुख सचिव की भूमिका बेहद संदिग्ध है और अब बीजेपी विधायक के इस भ्रष्टाचार के सामने लाने के बाद बेलगाम ब्यूरोकैट पर सवाल खडा होना लाज़मी है.