अभ्यर्थियों के द्वारा लगातार विरोध प्रर्दशन करने और पुनर्मुल्यांकन करने की मांग के बावजूद उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन यानी पीसीएस के अंतर्गत 2015 में होने वाली परीक्षाओं का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया गया। सोमवार देर रात घोषित होने वाले इस रिजल्ट के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर और डिप्टी एसपी समेत 27 प्रकार के 530 पदों पर भर्ती होनी थी लेकिन योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण जिला गन्ना अधिकारी/बीज उत्पादक अधिकारी के एक और सहायक सेवायोजन अधिकारी के आठ पदों पर चयन नहीं हो सका। डिप्टी कलेक्टर के लिए 32 अभ्यर्थियों का चयन हुआ जिसमें यादव परिवार के खास एवम पूर्व डीजीपी के बेटे सिद्धार्थ यादव ने पहला स्थाय प्राप्त किया। इस श्रेणी में प्रतापगढ़ के मंगलेश दूबे दूसरे और अम्बेडकरनगर के प्रशांत तिवारी तीसरे स्थान पर रहे ।
उत्तर प्रदेश की सरकारी सेवाओं के लिए होने वाली यह परीक्षा शुरू से ही विवादित रही है। जिन प्रतियोगियों ने इन परिणामों का विरोध किया है, उनका आरोप है कि सरकार के दबाव में लोक सेवा आयोग ने परीक्षा कराने तथा रिजल्ट घोषित करने के मामले में जल्दबाजी दिखाई। जिन परीक्षाओं का परिणाम घोषित हुआ है उसकी प्रारंभिक परीक्षा 29 मार्च को हुई थी, लेकिन पेपर आउट हो गया। हालांकि, आयोग ने सिर्फ एक ही पेपर आउट होने की बात मानी। इस पेपर की परीक्षा 10 मई को दोबारा कराई गई।
इसके बाद मात्र 25 दिन के अंतराल पर पांच जून को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया। विवाद तथा प्रतियोगियों के विरोध के बावजूद मात्र 24 दिन बाद 29 जून से मुख्य परीक्षा करा ली गई। अब तकरीबन 7 महीने बाद मुख्य परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया गया। जबकि, प्रतियोगियों की ओर से लगातार आपत्ति उठाई जा रही थी| इसके बावजूद परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित होने के बाद विरोध करने वाले प्रतियोगी विरोध प्रर्दशन करके अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।