उत्तर प्रदेश के अलीगढ जिले से दो बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक रह चुके हाजी जमीरउल्लाह को बसपा ने निष्कासित कर दिया है। पूर्व सपा विधायक पिछले साल ही बसपा में शामिल हुए थे। बसपा जिलाध्यक्ष तिलकराज यादव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पार्टी सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने, अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते उनको निष्कासित किया गया है। वहीँ बसपा से निकाले जाने पर जमीरउल्लाह ने मायावती के इस फैसले का स्वागत किया है।

सपा से बसपा में हुए थे शामिल :

पूर्व विधायक जमीरउल्लाह 2007 में पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर शहर सीट से जीत कर विधायक बने थे। इसके बाद वे 2012 में कोल विधानसभा से टिकट हासिल किये और दोबारा जीत गए। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा में गृहयुद्ध के दौरान अखिलेश यादव ने उनका कोल विधानसभा से टिकट काट दिया था। इसके बाद जमीरउल्लाह इस सीट से निर्दलीय लड़े और सपा से बाहर कर दिए गए। इसके बाद वे बसपा में शामिल हुए थे। अब उनके बसपा से निकाले जाने के बाद चर्चाएँ हैं कि वे सेक्युलर मोर्चा ज्वाइन कर सकते हैं।

फैसले का किया स्वागत :

जमीरउल्लाह ने बसपा सुप्रामों के इस फैसले पर कहा कि बहनजी के इस निर्णय का स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे दलित, मुस्लिम व गरीबों की आवाज उठाने के लिए मना किया जाता था। मैं राजनीति में इनकी आवाज उठाकर ही आगे बढ़ा हूं तो फिर कैसे चुप बैठ सकता था। बसपा नेताओं ने इसमें मेरा साथ नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि हरदुआगंज के मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों के परिवार के लोग आए तो मैंने उनकी बात भी अधिकारियों के सामने रखी। इस पर बसपा के ऊपर के नेताओं सहित स्थानीय नेताओं को दिक्कत थी। सेकुलर मोर्चा में शामिल होने के सवाल पर कहा कि पहले जनता के बीच जाऊंगा, इसके बाद ही कोई निर्णय लूंगा।

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