देश आज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 10वीं पुण्यतिथि मना रहा है. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से सबसे ज्यादा बार सांसद चुने जाने वाले चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री भी बने. आज सभी समाजवादी उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर विभिन्न जगहों पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद कर रहे हैं. बलिया में भी आज पुन्यतिथि के अवसर पर शेखर फाउंडेशन की ओर से चंद्रशेखर उद्यान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है.

युवा तुर्क हर वर्ग में रहे लोकप्रिय:

  • तेज-तर्रार नेता के रूप में जाने जाने वाले चंद्रशेखर हर वर्ग में लोकप्रिय रहे.
  • जन्मभूमि होने के कारण बलिया से उनका खास लगाव रहा.
  • लेकिन साथ ही उन्होंने बलिया के विकास को लेकर जो बात कहीं वो आज के परिदृश्य में उनके कद को दर्शाता है.
  • अक्सर उनके पास शिकायतें आती थीं कि आप बलिया का कायाकल्प क्यों नहीं करते हैं.
  • बहुत ही शालीनता से उन्होंने कहा था, उनके लिए पूरा देश उनका घर है.
  • देश प्रगति करे, उनकी पहली प्राथमिकता है.
  • अपने तेवरों के कारण वो खासे लोकप्रिय रहे.

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अगर हौसला नहीं तो फैसला नहीं:

  • अगर हौसला नहीं होगा, तो एक भी फैसला नहीं होगा.
  • सब अपने भले की सोचेंगे, तो किसी का भला नहीं होगा.
  • ये वो पंक्तियाँ हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर द्वारा अक्सर सुनने को मिलती थीं.
  • उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद शोध कार्य शुरू किया.
  • आचार्य नरेन्द्रदेव के कहने पर वह बलिया जिला सोशलिस्ट पार्टी के महामंत्री बने और सक्रीय राजनीति में कदम रखा.
  • बगावती तेवर के कारण उन्होंने देश के सामने एक अलग राजनीति की मिसाल प्रस्तुत की.
  • 1964 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली.
  • 1969 के बाद लगातार वह कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रहे.
  • बगावती तेवर का नतीजा था कि हाईकमान के निर्देश के खिलाफ शिमला अधिवेशन में चुनाव लड़ चुनाव समिति के सदस्य चुने गये.

सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं:

  • उन्होंने 10 नवम्बर 1990 कोदेश के आंठवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
  • वहां भी उन्होंने अपनी शर्तों पर काम किया.
  • लेकिन सिद्धांतों से समझौते की बात आयी तो त्यागपत्र देने में भी देर नहीं लगायी.
  • वर्ष 1995 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से नवाजा गया.
  • लेकिन बलिया का ये लाल आठ जुलाई 2007 को चिर निंद्रा में सो गया.
  • उनकी मौत के बाद बलिया जिले के कई घरों में चूल्हे नहीं जले थे, जिले में मातम था.

14 अप्रैल 1999 को टाउन हाल में दिया गया यादगार वक्तव्य:

  • उन्होंने ‘गांव की परम्परा हमारी सभ्यता का आधार’ मानते हुए देश को राजनीति की नयी दिशा दी.
  • पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने बलिया के टाउनहाल में जो कुछ कहा था वो इतिहास में दर्ज हो गया.
    उन्होंने कहा कि आजादी पाने के बाद समझते थे कि जितना कुछ पूर्व का ज्ञान है वह मिथ्या, अंधविश्वास है.
  • लेकिन अब धीरे-धीरे दुनिया उसी रास्ते पर जा रही है.
  • मार्क्स की किताबें पढ़कर हम ये समझते थे कि गांधी सुधारवादी हैं.
  • क्या कहीं अहिंसा के रास्ते से क्रांति होती है?
  • उन्होंने कहा कि याद है जब मैं संसद सदस्य भी हो गया.
  • उस वक्त लाल बहादुर शास्त्री को सुधारवादी मानता था.
  • कुछ अन्य लोगों को क्रांतिकारी मानता था.
  • लेकिन धीरे-धीरे अनुभवों ने बताया कि हम लोगों की अवधारणा बहुत कुछ यथार्थ पर निर्भर नहीं होती है.
  • जीवन के अनुभव से आदमी सिखता है.
  • उन्होंने कहा कि सीखकर उसमें बहुत बड़ा परिवर्तन हो जाता है.
  • उन्होंने कहा कि मौलिक रूप से हम गांव के लोग हैं.
  • गांवों में हमको जो सीख मिली है वही सीख हमारी मूल सीख है.
  • उसी से हमें जीवन में प्रेरणा मिलती है.
  • यदि मैं कहूं कि गांव की परम्परा पांच हजार सालों से हमारी सभ्यता का आधार है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

पीएम रहते हुए कभी नहीं ठहरे 7 रेसकोर्स में:

  • प्रधानमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री आवास 7 रेस कोर्स में कभी रूके ही नहीं.
  • सब काम निपटाकर वह भोड़सी आश्रम चले जाते थे अथवा 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे.
  • उन्हें शायद अंदाजा था कि जिस प्रकार का माहौल देश में था,उसमें उनके सिद्धांत सत्ता के आड़े आएंगे.
  • तभी वो कहा करते थे कि जो पद स्थायी नहीं, उस पद के कारण मिलने वाली सुविधाएँ कितनी स्थायी होंगी.
  • सरकार का क्या भरोसा, स्थायी प्रधानमंत्री होने पर ही प्रधानमंत्री आवास में रहना बेहतर होता है.
  • वरना लोग कहेंगे इनका कोई ठिकाना नहीं है.

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अन्यन्त करीबी रहे चंद्रशेखर ने जय प्रकाश नगर की सेवा अपने अंतिम समय तक की. समाजवादी नेताओं में खासे लोकप्रिय चंद्रशेखर ने कहा था समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने वाला ही समाजवादी है. आज पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर हमारे बीच नहीं हैं। ‘दाढ़ी’ नाम से वो राजनीति में जाने जाते थे. देश के कई भागों में आज समाजवादी उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं.

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