2019 के लोकसभा चुनावों की समाजवादी पार्टी तैयारियां करने में लगी हुई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों यूपी के जिलों का दौरा कर संघटन को मजबूत करने में लगे हुए हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य और मुलायम सिंह यादव की सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके एक वरिष्ठ नेता का निधन हो गया है। 2019 के पहले इस नेता के निधन से निश्चित तौर पर सपा को काफी नुकसान होगा।
पूर्व मंत्री का हुआ निधन:
अलीगढ़ के जमींदार परिवार में जन्मे ख्वाजा हलीम तीन भाइयों में बीच के थे। उन्होंने छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव से शुरुआत करते हुए 1977 में कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में विघटन होने के बाद वे समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह के साथ आकर जुड़ गए। उनकी प्रतिज्ञा थी कि जब तक विधायक नहीं बनूँगा, शादी नहीं करूँगा। मुलायम सिंह यादव के कहने पर लोकदल ने उन्हें वरीयता दी 1980 में शहर सीट से विधानसभा का टिकट दिया जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई और उसके बाद उन्होंने शादी की। पूर्व विधायक के परिवार में परिवार में पत्नी, बेटा ख्वाजा हसन जिबरान, बेटी रूबी ख्वाजा व ताबिंदा ख्वाजा हैं। इसमें से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है।
मुलायम के थे भरोसेमंद :
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव उस दौरान ख्वाजा हलीम को अपना सबसे भरोसेमंद मानते थे। मुश्किल समय में ख्वाजा हलीम ने भी उनका साथ नहीं छोड़ा। 1992 में जब सपा का गठन हुआ तो वे उसमें वह संस्थापक सदस्य बने थे। इसके अलावा साल मुलायम सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी बने। साथ ही दो बार एमएलसी रहे थे। एमएलसी रहते हुए 2005 में मुलायम सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री भी बनाये गये थे। काफी समय तक वे सपा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं। अब देखना हैं कि पूर्व मंत्री के निधन से सपा पर कैसा प्रभाव पड़ता है।