Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

4 साल गैरहाजिर रहे IPS को बनाया गया गोरखपुर ADG

IPS dawa sherpa adg gorakhpur

IPS dawa sherpa adg gorakhpur

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने अभी हाल ही में कई आईपीएस अफसरों का तबादला किया। इन तबादलों में 1992 बैच के यूपी कैडर के ऑफिसर दावा शेरपा को गोरखपुर में अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) के रूप में तैनात किया गया। आईपीएस दावा शेरपा पिछले चार सालों से सर्विस में अनुपस्थित रहे हैं। विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि वो अब पुलिस फोर्स का भी भगवाकरण करने में लगी हुई है। आरोप है कि शेरपा का पिछला कार्यकाल काफी विवादों वाला रहा है।

2008 से 2012 तक सेवा से रहे अनुपस्थित

पुलिस के आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, आईपीएस दावा शेरपा 2008 से 2012 तक सेवा से अनुपस्थित थे। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन किया था और वो सीतापुर में अपनी कमांडेंट, 2 बटालियन पीएसी की पोस्टिंग के दौरान लंबी छुट्टी पर थे। हालांकि राज्य के गृह विभाग ने शेरपा के आवेदन को स्वीकार नहीं किया। क्योंकि शेरपा ने वीआरएस के लिए योग्य होने की शर्त, 20 साल की सर्विस पूरी नहीं की थी।

राजनाथ सिंह के माने जाते हैं करीबी

आईपीएस दावा शेरपा राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं। वह 2012 में उत्तर प्रदेश में सक्रिय पुलिस सेवा में वापस लौटे। उन्हें 2013 में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) और बाद में इंस्पेक्टर जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया। उनकी हालिया पोस्टिंग क्राइम ब्रांच-सीआईडी डिवीजन में एडीजी के रूप में हुई थी।

2009 का लड़ना चाहते थे लोकसभा चुनाव

अपनी सेवा में गैरहाजिरी के बाद वह अपने घर दार्जिलिंग चले गए और गोरखालैंड की राजनीति के एक चर्चित चेहरे के रूप में उभरे। बाद में उन्होंने बीजेपी जॉइन कर लिया और पार्टी के राज्य सचिव बन गए। कथित रूप से शेरपा दार्जिलिंग से 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन बीजेपी ने जसवंत सिंह को टिकट दे दिया। इसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अखिल भारतीय गोरखा लीग में शामिल हो गए। उन्हें डेमोक्रेटिक फ्रंट में संयोजक का पद मिला। इस फ्रंट में एबीजीएल समेत 6 अन्य क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं।

पूर्व पुलिस प्रमुख ने दिया था ये बयान

पुलिस सेवा और राजनीति के बीच की अदला-बदली पर आपत्ति जताते हुए पूर्व पुलिस प्रमुख विक्रम सिंह ने उन्हें कहा था कि सर्विस के दौरान आप ऐसी चीजें नहीं कर सकते। अगर आप वास्तव में राजनीति करना चाहते हैं तो पुलिस की वर्दी उतार दें और पूर्णकालिक राजनीति में चले जाएं। कोई भी किसी को रोक नहीं रहा है। लेकिन एक ही समय में आप आईपीएस ऑफिसर और राजनीति नहीं कर सकते। आपने खुद को एक विशेष संगठन और एक विशिष्ट राजनीतिक विचारधारा के साथ पहचान लिया है। इसलिए, आपको अखिल भारतीय सेवा में होने का कोई हक नहीं है।

कांग्रेस ने की मामले की जांच की मांग

कांग्रेस प्रवक्ता जिशान हैदर ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवाकरण एजेंडे पर काम कर रहे हैं। जो ऑफिसर इस विचारधारा के साथ काम करते हैं उन्हें ही सरकार विपक्षी दल की आवाज दबाने के लिए इस्तेमाल में ला रही है। कांग्रेस ने मांग की कि शेरपा को तुरंत पद से हटाया जाए और इस पर जांच की मांग की कि आखिर बीजेपी के लिए काम करने के बाद उन्होंने पुलिस फोर्स दोबारा कैसे जॉइन कर लिया। कांग्रेस ने उन्हें पद से हटाने की मांग की है।

सपा भी जता रही विरोध

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह सजन ने शेरपा की पोस्टिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी उन ऑफिसर्स को चुन रही है जो उनकी विचारधारा को साझा करते हैं। भाजपा उन अधिकारियों को सभी महत्वपूर्ण पदों पर जगह देने की कोशिश कर रही है जो किसी न किसी तरह पुलिस बल में पार्टीलाइन के साथ समझौता कर रहे हैं। वो विपक्षी दलों की आवाज को दबाना चाहते हैं। लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि वो समाजवादी पार्टी की आवाज को दबा नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी शेरपा की पदोन्नति पर विरोध जता रही है।

Related posts

केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी की बहन से छेड़छाड़

Sudhir Kumar
7 years ago

आगरा में खूनीं हुईं सड़कें, 12 घंटे में 10 को मौत की नींद सुलाया!

Sudhir Kumar
8 years ago

पूजा-पाठ करने वाले सीएम के बस का नहीं सरकार चलाना- रमाकांत यादव

Shashank
7 years ago
Exit mobile version