सरकार ने सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ बेंच में मुकदमों की पैरवी के लिए चौदह प्राइवेट वकीलों (Fourteen private lawyers) का पैनल नियुक्त किया है। सरकार आवश्यकता पड़ने पर इन वकीलों को सरकार के विशेष वकील के रूप में आबद्ध कर अपने पक्ष में पैरवी करवाएगी। सरकार ने यह कदम तब उठाया है जबकि सरकार की ओर से महाधिवक्ता के अलावा एक दर्जन से अधिक अपर महाधिवक्ता व सैकड़ों अन्य सरकारी वकील नियुक्त हैं।
गैंगरेप पीड़िता को बीफ खिलाने की अफवाह, वीडियो में देखें आरोपी का बयान
सक्षमता को लेकर कई न्यायाधीशों ने की थी टिप्पणी
- उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों में इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ बेंच में कई न्यायाधीशों ने सरकारी वकीलों की सक्षमता को लेकर टिप्पणी की थी।
- पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में भी अक्सर विशेष अधिवक्ताओं की नियुक्ति होती रही है लेकिन ऐसा पहली बार है जब बकायदा प्राइवेट वकीलों (Fourteen private lawyers) का पैनल बनाया गया हो।
मीटिंग लेकर लूटपाट करने भेजता था सरगना, दो बदमाश गिरफ्तार
- ये चौदह वकील अपने प्राइवेट मुकदमे चाहे वे राज्य सरकार के खिलाफ ही क्यों न हों लड़ सकेंगे लेकिन आवश्यकता पड़ने पर वे सरकार के विशेष वकील के रूप में भी उसकी ओर से मुकदमों की पैरवी करेंगे।
- इस सम्बंध में उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव ब्रजेश कुमार मिश्र की ओर से 18 सितम्बर को आदेश जारी किया गया है।
- आदेश के अनुसार लखनउ बेंच में वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा, जयदीप नारायण माथुर, संदीप दीक्षित, मनीष कुमार, कुंवर मृदुल राकेश व आरएन गुप्ता की नियुक्ति पैनल में की गई है।
- इनमें से एलपी मिश्रा अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और जयदीप नारायण माथुर बसपा शासन में अपर महाधिवक्ता रह चुके हैं।
यूपी में तेज आंधी-पानी, ओला और बज्रपात से तबाही
- वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए शशिनंदन, एमडी सिंह शेखर, अशोक खरे, राधाकांत ओझा व निखिल अग्रवाल पैनल के लिए नियुक्त किये गए हैं।
- साथ ही सुप्रीम कोर्ट में देश के जानेमाने अधिव्कता हरीश साल्वे, तुषार मेहता व परमजीत सिंह को आबद्ध किया गया है।
- विशेष सचिव की ओर से जारी उक्त आदेश में कहा गया है कि विभिन्न सरकारी विभाग महत्वपूर्ण प्रकरणों में प्रभावी पैरवी के लिए राज्य विधि अधिकारियों के स्थान पर प्राइवेट वकीलों को आबद्ध कर लेते है जिनकी फीस में एकरूपता न रहने के कारण एक समान प्रकरण में अलग-अलग वकीलों को शासकीय धन से अधिक भुगतान करना पड़ जाता है।
कलयुगी भांजे ने मामी को दबोचाकर किया बलात्कार
- इसे दृष्टिगत रखते हुए प्राइवेट वकीलों का पैनल गठित किया जा रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर सरकारी विभाग इस पैनल से वकीलों को नियुक्त करें।
- उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई को करीब छः सौ नए सरकारी वकीलों का राज्य विधि अधिकारियों के तौर पर नियुक्ति की गई थी।
- इस सूची को जारी करने में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रकियात्मक खामी पाते हुए सरकार को पुरानी सूची का रिव्यू कर नई सूची जारी करने का आदेश दिया था।
- हालांकि सरकार (Fourteen private lawyers) अब तक नई सूची जारी नहीं कर सकी है।
तबादले के 2 माह बाद भी जमा बैठा ये घूसखोर अधिकारी