राजधानी लखनऊ में चौथे बड़े मंगल पर बजरंग बली के प्रति आस्था रखने वाले भक्तों ने पूजन कर जगह-जगह भंडारा (प्रसाद) बांटा। तेज धूप में जहां शर्बत ने लोगों को तपती धूप से राहत दी वहीं, भंडारे में गरीबों को भरपेट भोजन करने का मौका भी मिला। ज्येष्ठ के बड़े मंगल पर मंदिरों में जहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ रही, वहीं दूसरी ओर जगह-जगह भंडारों का आयोजन हुआ। पिछली एक मई से शुरू हुआ बड़े मंगल का अवसर 59 दिन में इस बार 9 बार पड़ेगा। पांचवा बड़ा मंगल 29 मई को पड़ेगा। छठा 5 जून, सातवां 12, आठवां 19 व नौवा 26 जून को पड़ेगा।
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यातायात पुलिस लाइन में बांटा गया प्रसाद
यातायात पुलिस (ट्रैफिक पुलिस) लाइन में सुन्दर कांड और भंडारे का आयोजन किया गया। यहां एसएसपी दीपक कुमार ने एएसपी ट्रैफिक रवि शंकर निम, सभी यातायात क्षेत्राधिकारी और ट्रैफिक इंस्पेक्टर शीतला प्रसाद पांडेय सहित उपनिरीक्षकों और होमगार्डों के साथ हजारों लोगों को प्रसाद बांटकर पुण्य कमाया। वहीं बड़े मंगल पर श्रद्धालुओं की ओर से भंडारे के मेन्यू भी तय किए थे। कहीं होटलों की ओर से गरमा गरम जलेबी का वितरण किया गया तो कहीं कोल्ड ड्रिंक के साथ आइसक्रीम का वितरण हुआ। कई जगह छोला, पुलाव, कढ़ी की के साथ ही सब्जी-पूड़ी, चना, हलवा व बूंदी के साथ ही बताशे का भी वितरण किया गया। कहीं खीर तो कहीं सुबह से पूड़ी-सब्जी के साथ ही कढ़ी चावल का वितरण किया गया। भंडारे का दौर पूरे शहर में पूरे दिन चलता रहा।
राजा राम मोहन रॉय को माल्यार्पण व 151 किलो बूंदी लड्डू
राजा राम मोहन रॉय जयंती एवं ज्येष्ठ बड़े मंगल के अवसर पर मंगलवार को ए.आर. ट्रेडर्स गोमती नगर एवं आकाशवाणी की आर जे पारुल शर्मा की ओर से आज विभूति खंड गोमती नगर मे आर.के टिम्बर के नजदीक विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। 151 किलो बूंदी लड्डू, पंच मेल पकवान व कुएं के ठंडे पानी व खश के 1001 लीटर का शरबत, प्रसाद के रूप मे भंडारे मे आए हुए आगंतुकों के बीच वितरित किया गया। पूरा देश ने कल नारी जीवन उत्थान एवं सती प्रथा का निवारण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित करने वाले समाज सुधारक राजा मोहन रॉय की जयंती के रूप में मनाया, इस अवसर पर आरजे पारुल ने राजा राम मोहन रॉय के चित्र पर माल्यार्पण किया।
इस संदर्भ मे पारुल ने कहा की “राजा राम मोहन राय के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी- सती प्रथा का निवारण। राजा राममोहन राय ने सती प्रथा को मिटाने के लिए काफी कोशिश की। उन्होंने इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ लगातार आंदोलन चलाया। यह आंदोलन समाचार पत्रों तथा मंच दोनों माध्यमों से चला। इसका विरोध इतना अधिक था कि एक अवसर पर तो उनका जीवन ही खतरे में था। वह अपने शत्रुओं के हमले से कभी नहीं घबराए।
उनके प्रयास का ही नतीजा था कि लॉर्ड विलियम बैंटिक 1829 में सती प्रथा को बंद करवाने में समर्थ हुए। जब कट्टर लोगों ने इंग्लैंड में ‘प्रिवी काउंसिल’ में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, तब उन्होंने भी अपने प्रगतिशील मित्रों और साथी कार्यकर्ताओं की ओर से ब्रिटिश संसद के सम्मुख अपना विरोधी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। उन्हें प्रसन्नता हुई जब ‘प्रिवी काउंसिल’ ने ‘सती प्रथा’ के समर्थकों के प्रार्थना पत्र को अस्वीकृत कर दिया। सती प्रथा के मिटने से राजा राममोहन राय संसार के मानवतावादी सुधारकों की सर्वप्रथम पंक्ति में आ गए।