उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में सरकार करोड़ो रुपये शौचालय निर्माण के नाम पर पानी की तरह खर्च कर रही है जिसका मुख्य उदेश्य है कि गांवो कों गंदगी व खुले शौच से मुक्त किया जा सके लेकिन गांवो को ओडीएफ बनाने के चक्कर में ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी ब्लाक के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते शौचालय निर्माण में जमकर धांधली करने में जुटे है। शौचालयों के निर्माण में ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी ठेकेदारों के माध्यम से घटिया किस्म के शौचालय बनवाकर सरकारी पैसों का बंदरबांट किया जा रहा जो घटिया किस्म के शौचालय बनवाएँ जा रहे ,है उसमें मानकों का कही भी ध्यान नहीं रखा गया है।
मानकों की हो रही अनदेखी :
बाराबंकी जिले में शौचालय निर्माण में मानकों की अनदेखी की जा रही है और जिम्मेदार विभागीय अधिकारी शौचालयों की गुणवत्ता परखने के बजाय मानकों की दुहाई दे रहे है जो इस बात की ओर इशारा करता है कि इस खेल में कही न कही तक इनकी भी भूमिका अहम मानी जा रही जो चर्चा का मुख्य केन्द्र बिन्दु बनी हुई है।
ठेकेदारों द्वारा बनवाया जाता हैं शौचालय :
ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा शौचालय निर्माण का काम ठेकेदारों के माध्यम से कराया जा रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छ भारत अभियान का सपना कैसे पूरा होगा। निर्माण कार्य के समय ठेकेदार भी कम खर्च मेँ शौचालय तैयार कराने की जुगत में लगा रहता है।
अधिकारियों की देखरेख में किया जा रहा मानकविहीन तरीक़े से निर्माण :
बाराबंकी में शौचालय निर्माण में इन दिनों जमकर धांधली की जा रही है। प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी ब्लाक के कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण शौचालय निर्माण में जमकर मानकों की धज्जियाँ उड़ा रहे है जिसे देख आप स्वयं इस बात से अंदाजा लगा लेगें। शौचालय निर्माण में मिलीभगत खेल जगजाहिर है कि यह बात किसी से छिपी नहीं है।
विकास खंड हैदरगढ़, त्रिवेदीगंज, बनीकोडर, पूरेडलई, सिध्दौर, हरख जैसे दर्जनों ब्लाकों में इन दिनों शौचालय निर्माण का कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है। निर्माण कार्य ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा ठेकेदार से कराया जा रहा है। शौचालय निर्माण में ठेकेदार द्वारा जमकर मानकों की धज्जियाँ उड़ाकर निर्माण कार्य कराया जा रहा है। शौचालय निर्माण में पीली ईटों के साथ भारी मात्रा में बालू का प्रयोग किया जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है की बिना मौरंग के ही निर्माण कार्य कराया जा रहा है और सीमेंट का प्रयोग नाम मात्र के लिए किया जाता है।
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गुणवत्ता के नाम पर है शून्य :
कहने को तो यहाँ शौचालय बनवाया जा रहा है लेकिन शौचालय निर्माण में गुणवत्ता कही पर भी संतोषजनक नहीं है। जो शौचालय बनवाएँ जा रहे उसे देखकर ऐसा लगता है कि ये शौचालय उपयोग के लिए बनाए ही नहीं जा रहे है केवल खानापूर्ति कर पैसा हड़पने का कार्य किया जा रहा है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या इन मानक विहीन शौचालयों से स्वच्छता का सपना पूरा हो पायेगा क्या इन शौचालयों के बन जाने से गांव खुले शौच से मुक्त हो पायेगा।
हकीकत तो यह है शौचालयों की गुणवत्ता को देखने के बाद एक बात तो स्पष्ट है कि ये शौचालय ज्यादा दिन उपयोग के लिए टिक ही नहीं पायेंगे। वर्तमान में यहाँ शौचालय निर्माण में जमकर धांधली की जा रही है। जिले के अधिकारी जानते हुए भी अनजान बन बैठे है। कोई भी अधिकारी कार्यवाही का हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहा है जिसका परिणाम है कि शौचालय निर्माण कार्य में लगभग सभी जगह मनमानी की जा रही है।
क्या बोले बोले जिम्मेदार :
जब सभी ब्लाक के खण्ड विकास अधिकारियों से की गई तो सब का उत्तर रटा रटाया एक जैसा था कि शौचालयों की जांचकर उचित कार्यवाही की जायेगी। इस संबंध में जब डीपीआरओ से पूछा गया, तो उन्होनें अपना फोन ही नहीं उठाया।