सबको पता है कि सैकड़ों वर्षों से ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ भारत सन 1947 में आज़ाद हुआ। यह आजादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान के कारण संभव हो पाई। इन महान लोगों ने अपना तन-मन-धन त्यागकर देश की आज़ादी के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी। ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके। स्वतंत्रता आन्दोलन में समाज के हर तबके और देश के हर भाग के लोगों ने हिस्सा लिया। स्वतंत्र भारत का हर एक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है।
जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। भारत माता के ये महान सपूत आज हम सब के लिए प्रेरणा के श्रोत हैं। इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणा देती है। जिन्होंने ने कठोर और दमनकारी ‘अंग्रेजी हुकूमत’ से लड़कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज हम बात करेगें के गाजीपुर जिले के इकलौते बचे स्वतंत्रता सेनानी राम नगीना राय की। स्वतंत्रा सेनानी राम नगीना राय जो गाजीपुर जिले के सुहवल थाना इलाके के डेढ़गांवा गांव के रहने वाले है। डेढ़गांवा गांव अपने आप में एक ऐतिहासिक है। इस गांव में राम नगीना राय को लेकर कुल 15 स्वतंत्रता सेनानी थे। बता दें कि ये गांव शौर्य चक्र से संम्मानित शहीद कर्नल एम.एन राय का भी यही गांव है। सेनानी और शहीद का गांव होने के नाते बलिया सांसद भरत सिंह ने गोद भी लिया हुआ है। जो अब सासंद आदर्श गांव के नाम से भी अब जाना जाता है।
28 जानवरी 1931 को डेढ़गांवा गांव में राम नगीना राय का जन्म हुआ। राम नगीना राय की शुरूआती शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से हुई है। राम नगीना राय एम.ए.बीएड की शिक्षा प्राप्त कर कोलकाता के एक स्कूल में शिक्षक की रूप में अपनी सेवा भी दे चुके है। राम नगीना राय 15 साल की उम्र में ही अग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद कराने के लिए कूद पड़े थे।
खास बातचीत के दौरान रामनगीना राय ने बताया कि मैं राम नगीना राय एमए.बीएड, अध्यापक रहा हूं। मेरी उम्र 31 जनवरी 1928 की है। लगभग 15 साल की उम्र में जेल में बंद था। कारण कांग्रेस को 26 जनवरी मनाना था और एक भी आदमी नहीं मिल रहा था कि 26 जनवरी कैसे मनाए। नतीजा ये हुआ कि मै और बाबू परसुराम राय डेढ़गांवा से। हम दोनों लोगों को आर्डर हुआ था कि रात भर में इस सड़क को रंग दो।
उस दौरान सुवहल में अग्रेजी हुकुमत के कलक्टर का पड़ाव था। और हम दोनों लोग रात भर में अपने गांव से लेकर कलक्टर के टेंट में तक पंपलेट के माध्यम से पूरी रात लग कर रंग दिया था। उस दौरान मै हाथ में पंपलेट लिया हुआ था और बाबू परसुराम राय हाथ में लेई लिए हुए थे। जब सुबह हुई तो पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। तत्कालीन कलक्टर ने थाना गहमर और थाना दिलदारनगर को आदेश दिया था कि ये कौन किया है इसको जल्द से जल्द गिरफ्तार करों।
हम लोग भी जानते थे कि पुलिस आएगी और गिरफ्तार तो करेगी। लेकिन पुलिस नहीं आई। उसके बाद अकस्मात एक दिन मेरे गांव में पुलिस और सीआईडी का जमावड़ा हुआ और सीआईडी ने इशारा किया कि ये राम नगाना राय है इनको पकड़ा जाए। परसुराम राय आउट ऑफ स्टेशन है। मैं पकड़ा गया मैं गिरफ्तार हुआ मेरे घर की तलाशी हुई।
लेकिन उस दौरान मेरे घऱ में डाईनामाईट का बक्सा रखा हुआ था। लेकिन मेरी मां ने पटनी पर रखे डाइनामाईट के बक्से को इशारा करने पर भूसे में रख दिया। लेकिन उस दौरान पुलिस के द्वारा तीन घंटे तक मेरे घर की तलाशी ली गई। लेकिन कुछ मिला नहीं और मुझे पकड़ कर जेल में बंद कर दिया गया। चार महीने मेरा ट्रायल हुआ उसके बाद एक साल की सजा हो गई।
जब हमने सवाल किया कि आप लोग डाइनामाईट क्यो रखते थे तो उन्होंने गर्म जोशी से कहा कि डाइनामाईट, डाइनामाईट देश की आजादी के लिए किसी भी चीज की जरूरत है डाइनामाइट क्या है। जो देश को गुलाम बनाता हो मार दो उसे डाइनामाइट से, देखिए इस बुढ़ापे में खून खौल गया।
बातचीत के दौरान राम नगीना राय ने बताया कि उस दौरान वशिष्ठ नारायण शर्मा हम लोगों का नेतृत्व कर रहे थे। वशिष्ठ नारायण शर्मा 25 साल लगातार एमएलए थे। राम स्वरूप उपाध्याय जन सेवक भी थे, राम दत्त राय और परशुराम राय भी नेतृत्व करते थे। हमारे गांव में 14-15 थे स्वतंत्रता सेनानी थे। कुछ लोग माफी मांग के स्वतंत्रता सेनानी हो गए। इस लिए मै 14-15 सेनानी कह देता हूं गांव बड़ा बेजोड़ है।
वहीं जब हमने उनसे सवाल किया कि आजादी के बाद से अबतक क्या परिवर्तन पाया देश में तो उन्होने बताया कि आजादी के बाद देश बड़ा अच्छा रहा। कांग्रेस का शासन था ईमानदार लोग मिनिस्ट्री में थे। कांग्रस में त्यागी पुरूष थे। मिनिस्ट्री में भी त्यागी और ईमानदार पुरूष थे। लेकिन धीरे धीरे किसी में कमी आ जाती है। ऩए नए चोला पहनकर कांग्रेस में आ गए।
हम कहते हैं कि 70 साल में पार्टी खराब नहीं हो जाएगी। ये पप्पू (राहूल गांधी) जो आया है काग्रेस का प्रेसिडेंट हुआ है। इसका चेहरा देखता हूं तो गर्म हो जाता हूं। इसकी बहन क्यों नहीं आई। कांग्रेस को जीताना था तो इसकी बहन को आना चाहिए था इस मुर्ख को नहीं आना चाहिए था। इसको तो नीति ही नहीं मालूम है कि नीति क्या होती है। आगे देखिएगा क्या होगा।
हम लोग तो गांधीवादी थे, गांधी के आधार पर हम लोग जेल गए थे। ब्रिटिश सरकार किसी तरह से चली जाए। उस दौरान देश में निर्भिकता आ गई थी। लोग पुलिस से डट कर बात करते थे। नहीं तो उस दौरान पुलिस की पगड़ी देखकर लोग भाग जाते हैं मैने वो भी दौर देखा है। लेकिन 1942 के मूवमेंट में लोग पुलिस के सामने डट कर मुकाबला करते थे। ये दौर भी मैंने देखा है लोगों में निर्भिकता आ गई थी।
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मैं तो संसार में एक ही नेता इंदिरागांधी को मानता हूं। इंदिरागांधी जैसा महान नेता मैंने आज तक नहीं देखा। उन्होंने कहा कि मुझे इंदिरागांधी से पांच बार मिलने का मौका मिला था। पांचो बार उन्होंने मुझे आशिर्वाद दिया। उनकी तरह कोई नेता ही नहीं हुआ। इस दौरान उन्होंने आजादी के बाद से अबतक के शासन काल पर बताया कि कई सालों तक कांग्रेस का शासन बहुत अच्छा था।
अब भाजपा का शासन है। लेकिन मैं बता दूं कि मोदी और अमित शाह को लाइक करता हूं। लेकिन आगे भाजपा के लिए कठिन डगर होगी। क्योंकि जनता अब चैतन्य हो गई है। जनता अब स्वार्थी हो गई है और स्वार्थी होने में भयावहता आ जाती है। लेकिन कांग्रेस का पीरियड था बहुत अच्छा था जबतक कांग्रेस में पूराने थे।
लेकिन जब से कांग्रेमें चोर, गिरहकट, मक्कार आ गए तबसे कांग्रेस का बहुत बुरा हाल हो गया। कांग्रेस को बिगाड़ने वालों को नजदीक से देखा है। कांग्रेस के आज ये हालत हैं नहीं तो कांग्रेस का वो दौर भी था जब एक कुत्ते को चुनाव के दौरान उठा दो तो वो भी जीत जाता था। वो समय मैने देखा है। ये था करेक्टर ये था नतीजा जिसकी वजह से कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही।
रामनगीना राय ने अपने गांव के बारे में बताया कि हमारे गांव में पिछले पांच सालों से पहले कोई पुलिस नहीं आती थी। थाने में हमारे गांव के लोग कभी थाने नहीं गए। ये हमारे गांव का इतिहास रहा है। लेकिन अब पुलिस आती है जाती है। इस दौरान उन्होंने बताया कि हमारे गांव की कोई भी समस्या होती थी तो स्वतंत्रता सेनानी व 25 बार एमएलए रहे वशिष्ठ नारायण शर्मा मैने करते थे। हमारे गांव की कोई भी समस्या गांव में निपटा दिया जाता था।