उत्तर भारत में पित्ताशय में पथरी एक गंभीर समस्या है। दिल्ली में हुए अध्ययन के मुताबिक, वहां 10 में से एक व्यक्ति को पित्ताशय में पथरी होने का अनुमान लगाया गया था। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के गेस्ट्रोसर्जरी डॉ. राजन सक्सेना का कहना है कि उत्तर प्रदेश के परिपेक्ष में यह आंकड़ा और अधिक ही होगा। कई बार लोगों की पथरी दर्द नहीं करती। लिहाजा वे इलाज नहीं करवाते जो बेहद खतरनाक है। भविष्य में यह पथरी उन्हें खासा नुकसान पहुंचा सकती है।शायद यह उनमें कैंसर बनने का कारक भी हो सकता सकता है। इसलिए बिना देरी किये रोगियों को चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।
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पीजीआई में रोजाना आते हैं चार से अधिक मरीज
- पित्ताशय में पथरी होने पर किस स्थिति में उसे निकाला जाए, क्या हर व्यक्ति जिसके पित्ताशय में पथरी है, उसे निकाल देना चाहिए।
- या किस साइज की पथरी व कितने वर्ष की पथरी को निकाला जाना चाहिए।
- इस संबंध में अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है।
- डॉक्टर्स का कहना है कि जितनी जल्दी आपको पथरी की जानकारी मिले डॉक्टर्स से परामर्श लें।
- पित्ताशय में पथरी होने पर इसे ऑपरेट करवायें या नहीं।इस पर भ्रम की स्थिति है।
- पीजीआई ओपीडी में प्रतिदिन पित्ताशय में कैंसर के चार से अधिक मरीज आते हैं।
- यूरोप व अमेरिका के चिकित्सा संस्थानों में चार माह में कैंसर का महज एक केस ही सामने आता है।
- उन्होंने बताया कि हमारे संस्थान में प्रतिवर्ष 200 पित्ताशय कैंसर के मरीज आते हैं।
- जिनमें से 80 फीसद में पथरी साथ होती है।
- अब यह कैंसर पथरी की वजह से हुआ है, इसे लेकर कुछ भी सामने नहीं आ सका है।
- पथरी होने पर पित्ताशय को निकाला जाए, या नहीं, इस पर ही बहस छिड़ी है।
- पथरी होने पर पित्ताशय में दर्द हो या न हो, इलाज जरूरी है।
- उसकी वजह से कई और भी तरह के बदलाव आते हैं।
- मसलन, अल्ट्रासाउंड के बाद यदि पित्ताशय की दीवार (वाल) मोटी दिखती है तो उसमें कैंसर की संभावना अधिक हो सकती है।
महिलाओं को अधिक होती है यह बीमारी
- पित्ताशय में कैंसर महिलाओं में अधिक होता है।
- अमूमन 70 फीसद महिलाएं इससे ग्रसित होती हैं जबकि पुरुषों में इसका अनुपात 30 प्रतिशत है।
- जिसकी वजह उनमें आने वाले हारमोनल बदलाव हैं।
- क्योंकि डिलीवरी व स्तनपान के दौरान महिलाओं में अधिक बदलाव होते हैं।
- जो इसके कारक हो सकते हैं। अनुवांशिक कारणों से भी यह बीमारी हो सकती है।