वर्ष 2008 में अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों के एक संदिग्ध आतंकवादी को गया के जिस साइबर कैफ़े के मालिक ने बड़ी चतुराई से पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी, आज वह पैसे-पैसे को मोहताज हो गया है। आतंकी को पकड़ने में अहम रोल निभाकर नायक बने कैफे के मालिक की हालत ख़राब हो गई है। अब वह कंगाली हालत में पहुंच गए हैं। (Anurag Basu)
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डर से चौपट हो गया पूरा व्यवसाय
- गया में रहने वाले अनुराग बसु ने uttarpradesh.org को बताया कि वह ‘विष्णु साइबर कैफे’ चलाते हैं।
- बसु का जीवन 13 सितंबर को दो आतंकवादियों को पकड़ने के बाद बदल गया था।
- 2008 के अहमदाबाद विस्फोट में आरोपी तौसीफ खान उर्फ अट्टिक खान को पकड़ने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
- इस विस्फोट में 56 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा घायल हुए थे।
- आतंकी को पकड़ने के बाद वह नायक बन गए थे। (Anurag Basu)
- इसके बदले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गारिमा मलिक से बासु को सिर्फ प्रशंसा मिली।
- उन्होंने यह भी कहा था कि पुलिस द्वारा उनके इस बहादुर काम और साहस के लिए पुरस्कार दिया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
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- आज उनके बेटे शिव की स्कूल की फीस का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है।
- उनकी दूसरी समस्या यह है कि वे अपने घर का मासिक किराया और साइबर कैफे का किराया कैसे देगें।
- उनका पूरा व्यवसाय प्रतिशोध के डर से चौपट हो गया है।
- उनकी पत्नी ने बताया कि अब ग्राहक साइबर कैफे में नहीं आते हैं।
- उनको डर लगता है कि आतंकवादी इसका बदला ज़रूर लेगें।
- मेरे चार कर्मचारियों ने भी इसी कारण से नौकरी छोड़ दी है।
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- औसत दैनिक ग्राहक संख्या 60-80 से शून्य के करीब आ गई है।
- जहां हर महीने 30,000 रुपये से 40,000 रुपये की कमाई होती थी अब वह शून्य हो गई है।
- बताया जा रहा है कि इस मामले के बाद पुलिस ने जांच के हिस्से के रूप में बासु के साइबर कैफे का मास्टर कंप्यूटर को भी जब्त कर लिया है।
- इसके अलावा, उन्हें पुलिस थाने के अक्सर चक्कर लगाने पड़ते है। (Anurag Basu)
नोट: अनुराग को इस समय मदद की जरुरत है अगर जिसको इनसे संपर्क करना हो तो इस नंबर पर संपर्क कर सकता है। (mob- 9931815053)
E-mail- bashu.anurag6@gmail.com
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