जिस जियो ट्यूब का पिछली 10 अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने उद्‌घाटन किया था। वह जियो ट्यूब उद्‌घाटन के 20 दिन बाद ही बंद हो गया और कुकरैल नाले का पानी फिर से सीधे गोमती में गिरने लगा है। सीएम ने इसे गोमती में सीधे गिर रहे नालों का पानी साफ करने के लिए बतौर पायलट प्रॉजेक्ट पेश किया गया था, लेकिन ये अब फिर से बदहाल हो गया है। इस संबंध में परियोजना प्रबंधक सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि शारदा नहर से काफी पानी कुकरैल नाले में आता है। इस कारण नाले का ज्यादातर गंदा पानी साफ हो जाता है। इसी कारण ट्यूब बंद कर दिया गया था। जियो ट्यूब से साफ किए गए पानी का सैम्पल जांच के लिए भेजा गया है। इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। कुछ दिन बाद फिर से ट्यूब का इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा।

बता दें कि गोमती किनारे कुकरैल नाले का पानी साफ करने के लिए लगाया गया जियो टेक्सटाइल डी-वॉटरिंग ट्यूब एक महीने के भीतर ही बंद कर दिया गया। ऐसे में कुकरैल नाले का गंदा पानी फिर सीधे गोमती में गिरने लगा है। अधिकारियों की दलील है कि शारदा नहर का पानी बढ़ने से नाले का पानी साफ हो गया है। लिहाजा, इसे ट्यूब से दोबारा साफ करने की जरूरत नहीं है। सोमवार को ही शारदा नहर बंद कर दी गई, लेकिन इसके बाद भी नाले का पानी साफ करने के लिए ट्यूब चालू नहीं किया गया। गोमती किनारे बोरियां लगाकर नाले का पानी रोका गया था। तय योजना के मुताबिक, यह पानी जियो ट्यूब के जरिए साफ कर गोमती में गिराया जाना था। सोमवार को मौके पर कई जगह से बोरियां हटाकर पानी गोमती में सीधे गिराया जा रहा था। इस बारे में पूछने पर मौके पर मौजूद मजदूरों और सिक्यॉरिटी गार्ड ने बताया कि अधिकारियों ने बोरियां हटाने का निर्देश दिया है। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, 10 अक्टूबर को जियो ट्यूब की स्थिति संतोषजनक नहीं थी। टेस्टिंग के बाद पता चला कि गोमती में नाले से करीब 50 एमएलडी गंदा पानी गिर रहा है, जबकि ट्यूब की क्षमता केवल तीन एमएलडी है।

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