मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान चलाने वाली गिरिजा के पीछे किन बड़ों का हाथ रहा है। किन अफसरों की मेहरबानी उस पर शुरुआत से थी। सीबीआई जांच में वे बड़े भी बेनकाब होंगे। सीबीआई लखनऊ की टीम कोर्ट के आदेश पर सपा शासनकाल में हुए सचल पालना गृह घोटाले की जांच कर रही है।
करीब 48.96 करोड़ के इस घोटाले में प्रदेश के 280 एनजीओ सीबीआई जांच के घेरे में हैं। इनमें देवरिया के मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान को 10 पालना गृह चलाने के लिए 16 लाख रुपये का भुगतान हुआ था। जांच में सामने आया कि 280 एनजीओ में नौ एनजीओ ऐसे थे, जिन्हें प्रशिक्षण के मद में लाखों रुपये एडवांस में दिए गए थे। जब यह रकम दी गई थी, तब पालना गृह संचालित होने शुरू हो गए थे।
प्रशिक्षण की रकम श्रम विभाग ने समाज कल्याण विभाग को दी थी, जिसे एनजीओ के खातों तक पहुंचाया गया था। हालांकि बाद में सभी नौ एनजीओ को प्रशिक्षण मद में दी गई रकम विभाग को वापस करनी पड़ी थी क्योंकि कहीं भी पालना गृह के कर्मचारियों का कोई प्रशिक्षण हुआ ही नहीं था।
देवरिया के तत्कालीन डीपीओ नरेंद्र प्रताप सिंह के भी सीबीआई ने करीब एक साल पहले बताया दर्ज किए थे। बताया गया कि वह देवरिया में अगस्त 2012 से जून 2017 के मध्य तैनात रहे। ऐसे में इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता कि तत्कालीन डीपीओ आरोपित गिरिजा के खेल को जानते थे। इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह गिरिजा के हाई कनेक्शन के आगे चुप्पी साधे रहे।