छावनी परिषद के बालिका छात्रावास में घटिया खाने देने की बात तीन दिन पहले सामने आयी थी जब छावनी परिषद उपाध्यक्ष वहां अचानक छात्राओं से मिलने पहुंच गयी थी। बावजूद इसके छात्राओं को घटिया खाना देने का सिलसिला नहीं थम रहा है। तीन दिन पहले यहां जांच में कई गड़बड़ी सामने आयी थी। फिर भी बालिकाओं को शुक्रवार को दोबारा उबली हुई लौकी और रोटी खाने को दी गई। कुछ बालिकाओं ने यह खाना खाने से ही मना कर दिया।
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कर्मचारी कमा रहे मुनाफा
- छावनी परिषद के कुछ कर्मचारियों और ठेका लेने वाली एजेंसी के बीच सांठगांठ है।
- यही वजह है कि अधिक मुनाफा कमाने के लिए बालिकाओं को घटिया खाना दिया जा रहा है।
- आपको बता दें इस छात्रावास में कुल 42 छात्राएं रहती हैं।
- छावनी परिषद प्रति छात्रा 3700 रुपये निजी एजेंसी को देता है।
- तब भी छात्राओं को खाने में पतली दाल, सब्जी के नाम पर रसेदार आलू, निम्न श्रेणी का मोटा चावल ही मिलता है।
- नाश्ते में सुबह पराठे की जगह उनको तो पीस रस और काली चाय ही मिलती है।
- यहां तैनात वार्डेन की भूमिका भी इसमें संदिग्ध मानी जा रही है।
- वार्डेन को परिषद प्रशासन ने बालिकाओं की देखरेख और खानपान की गुणवत्ता की निगरानी के लिए तैनात किया है।
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- लेकिन आज तक वार्डेन की ओर से छावनी परिषद प्रशासन को कोई शिकायत ही नहीं की गई।
- तीन दिन पहले ही बालिका छात्रावास के मेस में उपाध्यक्ष अंजुम आरा, सदस्य रीना सिंघानियां और रूपा देवी ने जांच की थी।
- तब यहां रहने वाली छात्राओं ने घटिया खाने की शिकायत की थी।
- हर माह इस हास्टल से निजी कंपनी को 1.55 लाख रुपये खाने की आपूर्ति का मिलता है।
- इसके बावजूद अधिक मुनाफा कमाने के लिए छात्राओं को घटिया खाना दिया जा रहा है।
- सूत्र बताते हैं कि इस खेल में छावनी परिषद के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं।
- जिनको हर महीने एजेंसी की ओर से हिस्सा मिलता है।
- फिलहाल सीईओ को तीन दिन पहले हुई जांच की रिपोर्ट सौंपी गयी है। वह बाहर गए हैं।
- बताया जा रहा है कि उनकी वापसी के बाद एजेंसी और परिषद कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
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