देश के सबसे बड़े कावड़ मेले में दिखावे के लिए या फिर अपनी ईच्छा  के लिए शिव भक्त खर्चा तो बहुत करते है, लेकिन खुद को सोने से ढक  कर कावड़ लाने वाला शिव भक्त सिर्फ और सिर्फ एक ही है. जिसे दिल्ली से लेकर हरिद्वार तक की जनता गोल्डन बाबा के नाम से जानती है. इस गोल्डन बाबा की ये सिल्वर जुबली कावड़ है, यानि की 25वीं कावड़ है.

खुद को सोने से लाद कर जाते हैं कांवड़ ले कर:

इस शिव के भक्त की एक खासियत बात ये है की जब भी ये कावड़ लाते है तो हमेशा खुद को सोने से लाध कर अपनी यात्रा पूरी करते है। और हर बार ये गोल्डन बाबा अपनी यात्रा में सोने का वजन बढ़ा देते है.

दरअसल ये गोल्डन बाबा हरिद्वार की हर की पौड़ी से जल भरकर गुरुवार की देर रात अपने 300 आदमियों के क़ाफ़िले के साथ मुज़फ्फरनगर पहुँचे, जहाँ इन्हे देखने वालो का ताता लग गया. ये गोल्डन बाबा हरिद्वार से जल भरकर दिल्ली की अशोक मार्किट जो की कपडा मार्किट के नाम से  मशहूर है, वहाँ पर प्रभु शंकर को जल चढ़कर अपनी यात्रा पूरी करते है.

इसी अपनी 25वीं कावड़ की यात्रा में गोल्डन बाबा मुज़फ्फरनगर अपनी टोली के साथ पहुँचे जहाँ मिडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया की वो पिछले 24 सालो से कावड़ ला रहे  है और ये उनकी ये सिल्वर जुबली 25वीं कावड़ है.  हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने पहने हुए सोने का वजन बढ़ाया है.

सोने को मानते हैं शिव शंकर का आशीर्वाद:

गोल्डन बाबा का कहना है की ये उनके लिए मात्र सोना ही नहीं है, बल्कि शिव शंकर का बहुमूल्य आशीर्वाद है. वो सन 1972-73 से सोना पहनते हुए आ रहे है और सबसे पहले उन्होंने शिव का एक सोने का लॉकेट पहना था. जिसके बाद आज उनके पास इतना सोना है. सोना  ही उनका इष्ट देवता है.

गोल्डन बाबा पहले करते थे कारोबार:

बाबा की माने तो वह गारमेंट और प्रॉपर्टी का कारोबार करते थे, लेकिन सात साल पहले बाबा बनने के बाद उन्होंने वो बिजनेस भी बंद कर दिया. अब जो धन उनके पास है, उससे वह  हर साल प्रॉपर्टी खरीदते है और कावड़ यात्रा से पहले उसे बेचकर जो मुनाफा वो कमाते है उससे अपनी कावड़ यात्रा पूरी करते है. बाबा का तो ये भी कहना है की विदेशो में भी उनके बहुत से भक्त है, लेकिन ये उनसे कुछ लेते नहीं है.

इतने सोने का लेखा-जोखा इनकम टैक्स विभाग को है भी या नहीं?

पर बड़ा सवाल ये खड़ा होता है की आखिर बाबा के पास इतना गोल्ड आया कहाँ से? और अगर उन्होंने अपनी  इनकम से ये सोना उन्होंने ख़रीदा भी है तो क्या उन्होंने इसका लेखा जोखा इन्कमटेक्स विभाग को भी दिया  है या नहीं?

जबकि बाबा खुद बता रहे है की उनका ना तो  अभी तक कोई ट्रस्ट है और ना ही एकाउंट. ये तो रही गोल्डन बाबा की जुबानी बातें लेकिन समझ ये नहीं आता की बाबा जहाँ से निकलते है, वहाँ की पुलिस उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने पर क्यूँ लग जाती है? आखिर बाबा का ये गोल्डन राज है  क्या और आखिर अभी तक गोल्डन बाबा के गोल्ड का राज़ पर्दे  से क्यूँ ढाका हुआ  है?

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