मार्च 2016 में गोमती रिवर फ्रंट निर्माण कार्य को बहुत सरहाना प्राप्त हुई.लखनऊ के विकास में एक और पन्ना रिवर फ्रंट के नाम पर जुड़ रहा था.इस बारे में हमने कुछ गहन जानकारियां एकत्रित की.
RTI द्वारा प्राप्त जानकारी बजा रही खतरे की घंटी!
- जिसे जानकार आप स्त्भ्द रह जायेंगे.
- इस बारे में वैज्ञानिकों और विश्लेषकों ने भी ऐसे पहलू गिनाएं जिन पर विचार भी नहीं किया गया,
- RTI प्राप्त दस्तावेजों ने एक बहुत भयावह भविष्य की और इशारा किया है.
- रिवर फ्रंट निर्माण कार्य से नदी की इकोलॉजी को नुक्सान होगा.
- आस पास रहने वाले लोगों को भविष्य में खतरा पैदा हो सकता है.
महत्वपूर्ण तथ्य जिन पर गौर करना बहुत ज़रूरी
- पिछले कुछ वर्षों में नदी का दो तिहाई पानी हो रहा बर्बाद.
- गोमती नदी से जुड़ी है बाईस नदियाँ सही से प्रभंदन नहीं हो पा रहा है.
- नदी में प्रदूषण स्तर तेज़ी से बढ़ रहा है जो बेहद चिंताजनक है.
- 940 किलोमीटर लम्बी गोमती नदी बारहों मासी बहती है.
- इस नदी ने ऐतिहासिक तौर पर भी एक अहम स्थान हासिल किया है.
बाढ़ के दौरान आती है मुश्किलें
- गोमती में आई थी साल 2008 में बाढ़.
- इस दौरान जलस्तर दस से बारह मीटर बढ़ जाता है.
- जल स्तर बढ़ने से 250 से 450 मीटर दूर किनारे तक पानी फ़ैल जाता है.
- रिवर फ्रंट निर्माण तट की सुन्दरता ज़रूर बढ़ा रहा है.
- पर भविष्य में आने वाले खतरों से भी आगाह करना बेहद ज़रूरी है.