योगी सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रॉजेक्ट में आने वाले गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti River Front scam) में आखिरकार शासन के आदेश पर सोमवार रात को राजधानी के गोमतीनगर थाने में एफआइआर दर्ज करा दी गई। अधिशासी अभियंता शारदा नहर, लखनऊ खंड की तहरीर पर आठ इंजीनियरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इनमें तीन सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
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क्या है खास बात
- दर्ज कराई गई रिपोर्ट में खास बात यह है कि करोड़ों के घोटाले में किसी भी नौकरशाह या सफेदपोश का नाम नहीं है।
- थाना प्रभारी गोमतीनगर सुजीत कुमार दुबे ने बताया कि सभी आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी, वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
- पुलिस को दी गई तहरीर के साथ 74 पेज की जांच रिपोर्ट भी दी गई है।
- उन्होंने बताया कि तहरीर के आधार पर गुलेश चंद्र (तत्कालीन मुख्य अभियंता, सेवानिवृत्त), एसएन शर्मा (तत्कालीन मुख्य अभियंता), काजिम अली (तत्कालीन मुख्य अभियंता), शिव मंगल यादव (तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त) अखिल रमन (तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त) कमलेश्वर सिंह (तत्कालीन अधीक्षण अभियंता) रूप सिंह यादव (तत्कालीन अधिशासी अभियंता/अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त) सुरेंद्र यादव (अधिशासी अभियंता) के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
- अब पुलिस 74 पन्ने की न्यायिक जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है।
- बता दें कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सेवानिवृत्त न्यायधीश आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के लिए जांच समिति बनाई गई थी।
- समिति में विशेषज्ञ के रूप में इंजीनियरिंग एवं वित्त संकाय के प्रोफेसर शामिल थे।
- न्यायिक जांच समिति से तथ्यों के आधार पर जांच कर निष्कर्ष मांगा गया था।
- जांच समिति ने 15 मई को शासन को आख्या प्रस्तुत कर दी थी।
- जांच में गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के क्रियान्वयन में विभिन्न अनियमितताओं का उल्लेख किया गया।
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सीबीआई करेगी गोमती रिवर फ्रंट में हुई अनियमितताओं की जांच
- गोमती रिवर फ्रंट में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए नगर विकास विभाग मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में हाई पावर कमिटी बनाई थी।
- योगी सरकार ने रिवर फ्रंट मामले में न्यायिक समिति की जांच के बाद दोषियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए आदेश दिए थे।
- खन्ना समिति ने रिपोर्ट में दोषियों पर कार्रवाई के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
- इसके पहले बनी न्यायिक समिति ने परियोजना से जुड़े जेई, एई, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता, परियोजना अधिकारी, विभाग अध्यक्ष, प्रमुख सचिव सिंचाई और मुख्य सचिव को दोषी माना था।
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- खन्ना समिति ने अपनी रिपिर्ट में कहा कि इस परियोजना में हर स्तर पर पैसे की बंदरबांट हुई है, धन का काफी दुर्पयोग हुआ है।
- ठेके देने में मनमानी की गई और बेहद साठगांठ के साथ काम किया गया।
- ऐसे में इस परियोजना की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
- सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने खन्ना समिति की इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
- हालांकि (Gomti River Front scam) रिपोर्ट में समिति किसी की जिम्मेदारी तय नहीं कर सकी।
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