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कौन होगा लोकसभा में योगी आदित्यनाथ का उत्तराधिकारी?

2019 के आगामी लोकसभा चुनावों के पहले सभी पार्टियों के लिए गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव सीएम योगी के लिए परीक्षा माना जा रहा है. वहीँ गोरखपुर के अलावा फूलपुर में होने वाले चुनाव में डिप्टी सीएम केशव मौर्य की साख भी दाव पर होगी. इन दोनों लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख की केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा घोषणा कर दी गयी है. 11 मार्च को इन सीटों पर चुनाव पर मतदान होंगे जबकि 14 को गिनती का काम होगा. वहीँ चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक दलों की बयानबाजी तेज हो गई है.

योगी करेंगे उत्तराधिकारी का फैसला, कौन होगा वो? 

समाजवादी पार्टी का आरोप, सरकार रही विफल

फूलपुर और गोरखपुर में चुनाव 6 महीने पहले हो जाना चाहिए था लेकिन इतनी देर हुई है यह सरकार की नाकामयाबी है, चुनाव में सपा ही जीतेगी. प्रदेश सरकार को जानवरों के रखरखाव का ध्यान रखना चाहिए. भाजपा परीक्षा कराने में पूरी तरह से विफल साबित रही है. जबकि केशव प्रसाद मौर्या कहते हैं कि उनको दोनों सीटों पर बड़ी जीत हासिल होगी.

हम फूलपुर, गोरखपुर दोनों सीटों के उपचुनाव जीतेंगे: मौर्य

केशव मौर्य ने कहा कि आयोग का स्वागत करता हूँ, हम फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा जीतेंगे. उन्होंने कहा कि विकास की गति तेज़ हुई है. ये उपचुनाव थोड़े समय का है पर भाजपा 2014 की जीत को दोहराएगी. उन्होंने कहा कि संसदीय बोर्ड उम्मीदवार तय करता है. कौन चुनाव लड़ेगा, ये पार्टी का निर्णय होगा. अयोध्या मामले पर केशव मौर्य ने कहा कि भाजपा का मत है कि कोर्ट के फ़ैसले के बाद भव्य मंदिर का निर्माण होगा. हम फूलपुर, गोरखपुर दोनों सीटों के उपचुनाव जीतेंगे.

हमें जीत का भरोसा, योगी सरकार रही विफल: सपा

सपा ने उपचुनाव की घोषणा के साथ ही बीजेपी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. सपा का कहना है कि प्रदेश की योगी सरकार कई मोर्चों पर विफल रही है. कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर हो या अपराधियों को मारने के लिए फर्जी मुठभेड़ का सहारा लेना, योगी सरकार को जनता जवाब देगी. उक्त बातें सपा की तरफ से कहीं गई हैं. वहीँ कांग्रेस और बसपा भी अपनी-अपनी किस्मत आजमा रही हैं. लेकिन इस बीच जो अहम मुद्दा है वो ये कि किसी ने भी अभी चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है.

गोरखपुर में योगी करेंगे उम्मीदवार का फैसला:

गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ का उत्तराधिकारी कौन होगा, इसकी चर्चाएँ जोरों पर हैं लेकिन इसका फैसला भी और कोई नहीं, बल्कि योगी आदित्यनाथ को ही करना है. सियासत के जानकर कहते हैं कि गोरखपुर में प्रत्याशी कोई भी हो वह योगी की पसंद का होगा. संभावना है कि मंदिर या संत समाज से जुड़े किसी व्यक्ति को इस दौड़ में शामिल किया जा सकता है. यह सीट 28 साल (1989) से लगातार मंदिर के पास है. आदित्यनाथ 1998 से लगातार बीजेपी की टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. कई नाम चल रहे हैं लेकिन अभी कुछ कहना अच्छा नहीं होगा. लेकिन पार्टी किसी बाहरी व्यक्ति को भी भेज सकती है. बीजेपी का हाल में चुनावों के दौरान जिस प्रकार प्रत्याशी की घोषणा करने का क्रम सामने आया है, किसी ऐसे व्यक्ति को भी टिकट दिया जा सकता है जो मंदिर से न जुड़ा हो.

भाजपा की उम्मीदवारी पर विपक्ष खेलेगा दाव

भाजपा द्वारा प्रत्याशी तय होने के बाद ही विपक्षी दल उसका तोड़ ढूंढने की कोशिश करेंगे. अभी कयासों को देखते हुए विपक्षी दलों ने फूलपुर और गोरखपुर में उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने में जल्दबाजी नहीं दिखाई है. विपक्षी दल भाजपा सरकार की खामियों को जनता के बीच ले जाना चाहते हैं जबकि भाजपा योगी सरकार और मोदी सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए मैदान में उतर रही है.

फूलपुर में केशव प्रसाद मौर्य पर निगाहें:

फूलपुर की सीट केशव प्रसाद मौर्य की सीट रही है लेकिन अब उनके बाद वहां से पार्टी उस सीट पर किस समीकरण को फिट करती है, देखना रोचक होगा. जाति को ध्यान में रखते हुए यहाँ सपा ने भी अभी कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है. कायस्थ और ब्राह्मणों के आधिक्य वाले इस सीट पर अन्य जाति के उम्मीदवारों को साथ लेकर और नया समीकरण बनाने की कोशिश सभी दल कर रहे हैं. विपक्ष की चाल को देखते हुए शायद बीजेपी भी प्रत्याशियों की घोषणा करने में देरी कर रही है ताकि विपक्षी दल को अधिक मौके न दिए जाएँ:

उपचुनाव के कितने हैं मायने:

दरअसल, उपचुनाव को लेकर यूपी में सियासत तेज होने के पीछे एक कारण ये भी है कि इन दोनों सीटों पर योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में ये सीट अगर विपक्ष के खाते में जाती है तो योगी सरकार के साथ पीएम मोदी की नीतियों और उनकी लहर पर सवाल खड़ा होगा. वहीँ दोनों सीटों पर सीट के बाद बीजेपी और मजबूती से लोकसभा चुनाव में अपना अभियान आगे बढ़ा सकती है. इस सीट पर जीत और हार फ़िलहाल किसी की भी हो लेकिन आने वाले दिनों में सियासी उठापटक देखने को जरुर मिलेगी.

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