उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में इंसेफेलाइटिस बच्चों के लिए काल बना हुआ था लेकिन अब ये गोरखपुर से बहराइच तक जा पहुंचा हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं. बच्चों की मौतों को रोकने के लिए इस बिमारी से लड़ने की हर संभव कोशिश के बाद जापानी इंसेफेलाइटिस का इस कदर फैलना और एक जिले से दूसरे जिले तक पहुंचा चिंता का विषय हैं.
बहराइच जिलें में इंसेफेलाइटिस से 70 बच्चों की मौत:
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में इंसेफेलाइटिस से 45 दिनों में 70 मासूमों की जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है. जबकि 86 लोगों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इनमें से कई मासूमों की हालत गंभीर बताई जा रही है। बता दें कि, इस बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार बच्चे हो रहे हैं।
मरीजों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि के चलते अस्पताल में बेड खाली नहीं बचे हैं।
जिस कारण मरीजों का जमीन पर उपचार किया जा रहा है। मौतों के बढ़ते आंकड़ों के बाद पूरे अस्पताल परिसर में हड़कंप मच गया है।
14 दिनों में 25 बच्चों की मौत:
वहीं इस बाबत सीएमएस डाॅक्टर ओपी पांडेय ने बताया कि अस्पताल में बहराइच ही नहीं श्रावस्ती, गोंडा और बलरामपुर के मरीज आते हैं, जिसके कारण अस्पताल में मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि बीते 24 घंटे के दौरान 5 बच्चों की मौत हो चुकी है।
इसमें दो बच्चे बर्थ एस्पेसिया से पीड़ित थे, दो बच्चों की दिमागी बुखार से और एक बच्चे की निमोनिया से मौत हुई है।
24 घंटे में अस्पताल में 86 मरीज भर्ती
वहीं बीते 24 घंटे में अस्पताल में 86 मरीज भर्ती किए गए हैं, जबकि जिला अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में 40 बेड ही उपलब्ध हैं।
इस तरह से बुखार फैलने से मरीजों की बढती संख्या अस्पताल प्रशासन के लिए भी मुसीबत बन गयी हैं.
अस्पताल प्रशासन मरीजों को उस तरह की सुविधा मुहैया नहीं करवा पा रहा जैसा मरीजों को मिलना चाहिए.
यहीं वजह है कि मासूम बच्चों का इलाज करा रहे परिजन अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।
बुखार से 70 मासूम बच्चों की मौत, 86 अस्पताल में भर्ती
उनका कहना है कि यहां समय पर इलाज नहीं हो रहा है।
इन बच्चों के परिजनों को डर है कि कहीं जमीन पर लिटाकर इलाज करने से बच्चों में कोई और इंफेक्शन न हो जाए।
गोरखपुर में 6 महीनों ने 5 सौ से ज्यादा बच्चों की मौत:
वहीं ये बुखार जो बहराइच के लिए काल बन गया है उसकी शुरुआत गोरखपुर से हुई.
इंसेफेलाइटिस यानी जापानी मस्तिष्कशोथ नाम के इस बुखार से गोरखपुर में अब तक सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी हैं.
आकड़ों पर नजर डाले तो इसी साल जनवरी से जून यानी 5 महीनों में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त 63 बच्चों की मौत हुई.
वहीं इस दौरान सबसे अधिक मौते एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) में हुईं. करीब 587 बच्चों की मौत एनआईसीयू में हुई.
बता दें कि ये बच्चे संक्रमण, सांस सम्बन्धी दिक्कतों, कम वजन आदि बीमारियों से पीड़ित थे।
सिर्फ मार्च माह में 235 मासूमों की मौत:
इन आकड़ों के हिसाब से जनवरी 2018 से मई तक 5 महीनों में सबसे ज्यादा बच्चों की मौते मार्च में हुई. मार्च में जहाँ एनआईसीयू में 155 वहीं पीआईसीयू में 80 बच्चे मिला कर कुल 235 बच्चे मर चुके हैं.
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=”” font_style=”italic”]गौरतलब हैं कि बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में नवजात शिशुओं को एनआईसीयू और बड़े बच्चों को पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती किया जाता है। पीआईसीयू में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त बच्चों को भी इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।[/penci_blockquote]
गोरखपुर में 6 महीनों के आकंडे:
गोरखपुर में साल 2018 के शुरुआती 6 महीने ने मौतों का आंकड़ा 500 से ज्यादा का है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीछे साल की तुलना में इस भयावर बिमारी की रोकथाम और अस्पताल में इसके सही इलाज के लिए भरसक सुविधाओं को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]जनवरी 2018 के आकड़ें[/penci_blockquote]
-इसके अलावा जनवरी में एनआईसीयू में 89 वहीं पीआईसीयू में 40 बच्चों की मौत हुई.
जनवरी में कुल 129 बच्चों की मौत.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]फरवरी 2018 के आकड़ें[/penci_blockquote]
बता दें कि फरवरी में एनआईसीयू में 85 वहीं पीआईसीयू में 55 बच्चों की मौत हुई.
फरवरी में कुल 140 बच्चों की मौत.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मार्च 2018 के आकड़ें[/penci_blockquote]
वहीं मार्च में एनआईसीयू में 155 वहीं पीआईसीयू में 80 बच्चों की मौत हुई.
मार्च में कुल 235 बच्चों की मौत.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]अप्रैल 2018 के आकड़ें[/penci_blockquote]
इसी तरह अप्रैल में एनआईसीयू में 118 वहीं पीआईसीयू में 68 बच्चों की मौत हुई.
अप्रैल में कुल 186 बच्चों की मौत.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मई 2018 के आकड़ें[/penci_blockquote]
वहीं मई में एनआईसीयू में 120 वहीं पीआईसीयू में 62 बच्चों की मौत हुई.
मई में कुल 182 बच्चों की मौत.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]जून 2018 के आकड़ें[/penci_blockquote]
इस साल जून के शुरुआती 7 दिनों में ही 35 बच्चों की मौत हो चुकी हैं.
इनमे एनआईसीयू में 20 और पीआईसीयू में 15 बच्चों की अब तक मौत हो चुकी हैं.
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]बीआरडी मेडिकल कालेज में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 जिलों-गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़, बलिया, देवीपाटन आदि जिलों के अलावा पश्चिमी बिहार से गोपालगंज, सीवान, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण आदि जिलों के बच्चे भी इलाज के लिए आते हैं.[/penci_blockquote]
वहीं बहराइच में श्रावस्ती, गोंडा और बलरामपुर जिलों के मरीज आते हैं.
बड़ा सवाल:
सवाल ये उठता है कि इंसेफेलाइटिस इस कदर कहर बन कर फैलता जा रहा है. ये एक संक्रामक दिमागी बखार है, इसके रोकना शायद मुश्किल हो सकता है लेकिन इस रोग से लड़ने की क्षमता को तो बढ़ाने का काम प्रशासन कर ही सकती है?
गोरखपुर में किसी तरह इस बुखार के इलाज की व्यवस्थाएं हो रही थी लेकिन अब बहराइच में इस बुखार के पहुँचने के बाद प्रदेश सरकार की मंत्री अनुपमा जायसवाल किस तरह के इन्तेज़ामत करवाती हैं ताकि बच्चों की मौतों के आंकड़ों को बढ़ने से रोका जा सके?
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