गोरखपुर की गौशालाएं: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में स्थित गोरखपुर सिर्फ एक धार्मिक और ऐतिहासिक नगर नहीं, बल्कि गौ संरक्षण की दिशा में सक्रिय एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है। 2022 के बाद से गोरखपुर की गौशालाओं में अनेक सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं रहीं।
गोरखपुर की गौशालाएं: संरक्षण के प्रयास
1. सरकारी योजनाओं का प्रभाव
2022 के बाद से यूपी सरकार ने गौ संरक्षण को लेकर योजनाओं में तेजी लाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जनपद गोरखपुर में कई नई नंदी गौशालाएं और स्थायी गौआश्रय स्थल स्थापित किए गए। प्रत्येक गौशाला के लिए बजट में निर्धारित धनराशि आवंटित की गई, साथ ही इनके संचालन के लिए ग्राम पंचायतों, नगरीय निकायों और स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई।
2. निजी संस्थाओं की भागीदारी
सरकारी प्रयासों के साथ-साथ कई सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने भी गायों की देखरेख और चारे-पानी की व्यवस्था में मदद की। खासकर गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित गौशालाएं सुव्यवस्थित मानी जाती हैं।
3. टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाएं
2023 में जिला पशुपालन विभाग ने बीमार और वृद्ध गायों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए। इनमें टीकाकरण, इलाज और पोषण संबंधी सुविधाएं दी गईं।
गोरखपुर की गौशालाएं : मुख्य चुनौतियाँ
1. गौशालाओं में भीड़
आवारा पशुओं की संख्या में लगातार वृद्धि से गौशालाएं अपनी क्षमता से अधिक भर गईं। कई गौशालाएं ओवरलोड हो गईं जिससे चारे की व्यवस्था और स्वच्छता बनाए रखना कठिन हो गया।
2. वित्तीय संसाधनों की कमी
हालांकि योजनाएं बनीं, लेकिन कई गौशालाओं को नियमित फंड नहीं मिल पाया। इसके चलते कर्मचारियों का वेतन रुका और गायों के लिए चारा-पानी की व्यवस्था बाधित हुई।
3. भूमि विवाद और निगरानी की कमी
कुछ स्थानों पर गौशालाओं के लिए दी गई भूमि पर अवैध कब्जा या स्थानीय विवाद भी सामने आए। साथ ही जिला प्रशासन की निगरानी प्रणाली में भी कुछ खामियाँ उजागर हुईं।
वर्तमान स्थिति (2024-2025)
- कुल संचालित गौशालाएं (2024): लगभग 120 (सरकारी + निजी)
- औसत पशु संख्या प्रति गौशाला: 80 से 150
- बेहतर स्थिति वाली गौशालाएं: सहजनवां, खजनी और गोरखनाथ क्षेत्र
- सबसे अधिक भीड़भाड़ वाली गौशालाएं: पिपराइच और बांसगांव
जिले के पशुपालन विभाग द्वारा डिजिटल निगरानी प्रणाली शुरू की गई है जिससे हर गौशाला की दैनिक रिपोर्टिंग संभव हो सके। यह पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में गौशालाओं की स्थिति पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि राज्य में विभिन्न क्षमताओं वाली गौशालाएं मौजूद हैं। कुछ जिलों में तो गौशालाओं में 5,000 से भी कम गोवंश के रखरखाव की व्यवस्था है, जबकि कई गौशालाएं 5,000 से 10,000 गोवंश की क्षमता वाली हैं। कुछ बड़ी गौशालाओं में 15,000 से 20,000 गोवंश के रखरखाव की सुविधा उपलब्ध है। राज्य में कुछ विशालकाय गौशालाएं भी हैं जहां 20,000 से 25,000 और यहां तक कि 25,000 से 30,000 गोवंश को आश्रय दिया जा सकता है। उन्नाव, लखीमपुर खीरी, ललितपुर और महोबा जैसे जिलों में तो 30,000 से 40,000 गोवंश की क्षमता वाली विशाल गौशालाएं स्थित हैं। सबसे बड़ी गौशालाएं हमीरपुर, जालौन (ओराई), झांसी, चित्रकूट, हरदोई, सीतापुर और बांदा जिलों में हैं जहां 40,000 से अधिक गोवंश के रखरखाव की व्यवस्था है। यह आंकड़े उत्तर प्रदेश में गौ संरक्षण के प्रति सरकार और समाज की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
FAQs: उत्तर प्रदेश की गौशालाएँ
1. उत्तर प्रदेश में गौशालाओं का उद्देश्य क्या है?
गौशालाओं का मुख्य उद्देश्य बेसहारा, बीमार और वृद्ध गोवंश की देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास करना है।
2. उत्तर प्रदेश में कुल कितनी गौशालाएँ हैं?
राज्य में 5,000 से अधिक पंजीकृत और अस्थायी गौशालाएँ संचालित की जा रही हैं, जिनकी संख्या समय-समय पर बदलती रहती है।
3. गौशालाओं का संचालन कौन करता है?
गौशालाओं का संचालन सरकारी निकायों, नगर निकायों, ग्राम पंचायतों, स्वयंसेवी संस्थाओं (NGOs) और समाजसेवियों द्वारा किया जाता है।
4. गौशालाओं के लिए सरकार क्या सहायता प्रदान करती है?
सरकार गौशालाओं को चारा, दवाइयाँ, आश्रय निर्माण, और देखभाल हेतु वित्तीय सहायता और अनुदान प्रदान करती है।
5. क्या गौशालाओं में प्रवेश और सेवा के लिए कोई शुल्क होता है?
नहीं, गौशालाओं में बेसहारा गोवंश को आश्रय देने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। सेवा कार्य स्वैच्छिक और दान आधारित हो सकते हैं।
6. क्या आम नागरिक गौशालाओं की मदद कर सकते हैं?
हाँ, नागरिक चारा, दवाइयाँ, आर्थिक सहयोग या श्रमदान के माध्यम से गौशालाओं की सहायता कर सकते हैं।
7. क्या उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई मोबाइल ऐप या पोर्टल लॉन्च किया है गौशालाओं के लिए?
हाँ, कुछ जिलों में “गौवंश संरक्षण ऐप” और ऑनलाइन पोर्टल्स के माध्यम से गोवंश ट्रैकिंग और निगरानी की जा रही है।
8. गौशालाओं में किस प्रकार के गोवंश रखे जाते हैं?
मुख्यतः बेसहारा, घायल, बीमार, और बुजुर्ग गायें और बैल गौशालाओं में रखे जाते हैं।
9. क्या गौशालाओं में गोबर और गौमूत्र का उपयोग किया जाता है?
हाँ, कई गौशालाएँ गोबर गैस प्लांट, जैविक खाद और गौमूत्र आधारित उत्पादों के निर्माण में इसका उपयोग करती हैं।
10. गौशालाओं की निगरानी कैसे होती है?
गौशालाओं की निगरानी संबंधित जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग और स्थानीय निकायों द्वारा की जाती है। कई जगहों पर CCTV और निरीक्षण दल भी नियुक्त हैं।
11. भारत में सबसे बड़ी गौशाला कौन सी है?
पथमेड़ा गोधाम भारत की सबसे बड़ी गौशाला है, जिसमें दक्षिणी राजस्थान के छोटे से शहर पथमेड़ा में 85000 से अधिक गायें आश्रय प्राप्त हैं।
12. गौशाला योजना क्या है?
“गौशाला विकास योजना” एक राज्य सरकार की योजना है जो पंजीकृत गौशालाओं को स्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई है।
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