मंदिर आस्था और विश्वास का स्थान होता है. जहाँ लोग अपने पापों को धोने और गलतियों की माफ़ी के लिए आते हैं पर अगर मंदिर भी इंसानों के नापाक मंसूबों का अड्डा बन जाये तो आखिर भगवान कहां जाएँ. ऐसा ही एक मामला श्री कृष्ण की नगरी मथुरा के एक प्रसिद्ध मन्दिर मुकुट मुखारविंद मानसी गंगा का हैं. जहाँ मंदिर रिसीवर पर करोड़ों रुपये के गबन का आरोप लगा है.
मुकुट मुखारविंद मानसी गंगा मन्दिर का मामला:
1765 लाख यानि 17 करोड़ 65 लाख रूपये का गबन का मामला सामने आया है। मामला मथुरा के गोवर्धन कस्बे के प्रमुख मंदिर मुकुट मुखारविंद मानसी गंगा का है। जहाँ एक NGO इंपेरियल पब्लिक फ़ाउन्डेशन ने जाँच के बाद मंदिर रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर गबन करने का गंभीर आरोप लगाये है। वही इस गबन के मामले को मंदिर रिसीवर रमाकांत गोस्वामी सिरे से नकारा है।
एम्पेरियल पब्लिक फाउंडेशन ने लगाया आरोप:
गोवर्धन कस्बे के प्रमुख मुकुट मुखारविंद मानसी गंगा मंदिर साइन बोर्ड मामले के बाद फिर सुर्ख़ियो में है। जहाँ एक NGO इंपेरियल पब्लिक फाउंडेशन ने मन्दिर रिसीवर रमाकांत गोस्वामी पर 17 करोड़ 65 लाख रूपए के गबन का आरोप लगाया है। गबन के आरोप की जानकारी NGO ने मिडिया से वार्ता के दौरान दी है।
जिसमे NGO एम्पेरियल पब्लिक फाउंडेशन के चेयरमेन रजत नारायण ने मुखारबिंद मंदिर के ऋषिवर रमाकांत गोस्वामी पर मंदिर के नाम पर सस्ती जमींन को महंगे दामो में खरीद कर अपने लोगों को फायदा दिलाने और मंदिर व्यवस्था के नाम पर मोटा गबन करने का आरोप लगाया है ।
मंदिर रिसीवर रमाकांत गोस्वामी ने नकारा आरोप:
वही जब इस मामले की जानकारी मुकुट मुखारबिंद मंदिर रिसीवर रमाकांत गोस्वामी को हुयी तो उन्होंने भी आनन फानन में एक प्रेसवार्ता रख दी. पत्रकारों को साफी देते हुए उन्होंने कहा कि मुझ पर जो भी आरोप लगाए गए है, बिलकुल निराधार है।
मुझे न्यायालय द्वारा मंदिर रिसीवर नियुक्त किया गया है। मैं जो भी कार्य मंदिर के लिए करता हूँ, वह न्यायालय के आदेश के बाद ही होता है। अगर मैं कहीं भी गलत हूँ, तो मैं किसी भी जाँच के लिए तैयार हूँ।
बहरहाल यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा कि कौन झूठ बोल रहा है और कौन सच. पर मंदिर के नाम पर इतनी बड़ी रकम का गबन का आरोप कोई साधारण मामला नहीं हैं. ऐसे में जांच ही मामले को स्पष्ट कर सकती हैं.
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