उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने गोविंद बल्लभ पंत की पुण्यतिथि पर लोक भवन स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर तमाम लोग वहां मौजूद रहे। राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि देश में ऐसे क्रातिकारी नेताओं की सूची बहुत कम है, जिन्होंने राजनीति के साथ-साथ साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि पंत जी ने ही हिन्दी को राजकीय भाषा का दर्जा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की 59 वीं पुण्यतिथि शहर भर में मनायी गयी। राज्यपाल रामनाईक ने इस अवसर पर महान स्वतंत्रता सेनामी गोविंद बल्लभ पंत के चित्र पर माल्यार्पण किया और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। विधानभवन स्थित उनकी प्रतिमा पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि गोविन्द बल्लभ पंत का जन्म उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में 10 सितम्बर 1887 को हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वर्ष 1909 में कानून की परीक्षा पास की और काकोरी काण्ड के मुकदमें की पैरवी से उन्हें पहचान एवं प्रतिष्ठा मिली। उन्होंने कहा कि वर्ष 1937 में श्री पंत संयुक्त प्रान्त के प्रधानमंत्री बने और 1946 में उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। 10 जनवरी 1955 को श्री पंत ने भारत के गृहमंत्री का पद संभाला था। सात मार्च 1961 को श्री पंत का देहान्त हो गया।
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